नई दिल्ली। लॉकडाउन ने दूरदर्शन की पुराने दिनों की याद तरूरताजा कर दी है। दूरदर्शन पर इन दिनों रायामण और महाभारत जैसे पुराने और ऐतिहासित धारावाहिक दिखाए जा रहा हैं। दोनों शो को देखकर जनता की खुशी का ठिकाना नहीं है। लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि उस समय महाभारत, रामायण से पहले टेलीकास्ट होने वाला था। लेकिन किसी कारण से ये डिले हो गया था। इसका खुलासा किया है महाभारत में युधिष्ठिर का रोल अदा करने वाले गजेन्द्र चौहान ने। उन्होंने एक और राज खोला हैं कि उन्हें पहले युधिष्ठिर नहीं कृष्ण के रोल के लिए चयन किया गया था। लेकिन अधिक चावल थाने की वजह से उन्हें कृष्ण के रोल से हाथ धोना पड़ता था।
दर्शक 3 दशक बाद भी आज महाभारत में काम करने वाले एक्टर्स को ना सिर्फ पसंद कर रही है बल्कि उनके बारे में जानने को भी उत्सुक हंै। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि एक्टर गजेन्द्र चौहान को युधिष्ठिर कैसे पाया था। गजेन्द्र चौहान को युधिष्ठिर के रोल से टीवी इंडस्ट्री और देशभर में पहचान मिली थी। आज भी जब महाभारत के युधिष्ठिर के किरदार को सोचा जाता है तो गजेन्द्र का ही चेहरा सामना आता है। लेकिन क्या आपको पता है कि गजेन्द्र पहले इस शो में युधिष्ठिर नहीं बल्कि कृष्ण के रोल के लिए चुने गए थे।
युधिष्ठिर बनने की कहानी गजेन्द्र की जुबानी
महाभारत की शूटिंग और अपने रोल को पाने की कहानी गजेन्द्र चौहान ने एक इंटरव्यू में सुनाई। उन्होंने बताया 7 जुलाई 1986 को महाभारत का मुहूर्त हुआ, जिसमें राज बब्बर साहब के ऊपर बना था। उसमें मैं कृष्ण की भूमिका के लिए चुना गया था। उस समय ऐसा था कि महाभारत, रामायण से पहले टेलीकास्ट होगा। लेकिन किसी कारण से ये डिले हो गया। वो डिले कितना था हमें नहीं पता था। उस दौरान मुझे रीजनल, मलयालम फिल्में बहुत मिलीं। वहां का खाना जो था मुझे सूट नहीं किया। वहां चावल बहुत खाते हैं और मुझे 20-20 दिन शूटिंग के लिए वहां रहना पड़ता था तो मैंने भी चावल खाए।
हालांकि जब गजेन्द्र वापस लौटे तो उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी एक नया मोड़ लेने वाली हैं। इस बदलाव के बारे में उन्होंने कहा, मैं चावल खा खाकर मोटा हो गया था। जब मैं वापस लौटा तो रवि चोपड़ा साहब ने कहा कि तुम कृष्णा के रोल के लिए फिट नहीं हो। क्योंकि तुम्हारा लुक हैवी हो गया है। उन्होंने मुझे बलराम के रोल में शिफ्ट किया। मैं उस रोल में सहज था, लेकिन मैं कृष्ण की भूमिका के लिए ही तैयार था इसलिए मैंने मना कर दिया। हालांकि वो लोग कृष्ण की भूमिका के लिए किसी और को चुन चुके थे और तब तक नितीश भरद्वाज का भी नाम नहीं था।
गजेन्द्र ने आगे बताया कि जब महाभारत की शूटिंग की शुरुआत दोबारा हुई तो रवि चोपड़ा उन्हें दोबारा मिले। रवि ने उनसे पूछा कि आप कौन सा रोल कर रहे हो। गजेन्द्र चौहान ने बताया कि उन्हें बलराम का रोल ऑफर हुआ था, लेकिन वे इससे खुश नहीं हैं। ऐसे में रवि चोपड़ा ने उनका युधिष्ठिर के रोल के लिए दोबारा स्क्रीन टेस्ट लिया। गजेन्द्र बोले, इस स्क्रीन टेस्ट को रवि चोपड़ा ने देखा, बी आर चोपड़ा साहब ने देखा, डॉक्टर राही मासूम रजा साहब ने देखा और आखिरकार पंडित नरेन्द्र शर्मा ने इसको ओके किया। 17 अगस्त 1988 को मेरा अग्रीमेंट फाइनल हो हुआ कि मुझे युधिष्ठिर की भूमिका के लिए फाइनल किया गया है और करीब 28 अक्टूबर 1988 को मैंने शूटिंग शुरू की।
रामानंद सागर की रामायण के बाद अब बीआर चोपड़ा की महाभारत ने टीवी पर दस्तक दी थी और इसे भी जनता का ढेर सारा प्यार मिल रहा है।
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