महासमुंद. नगरीय क्षेत्र के शासकीय भूमि पर सालों से कब्जा कर आशियाना बनाकर रहने वाले लोगों के लिए शासन द्वारा पट्टा देने की स्कीम ने लोगों की रातों की नींद हराम कर दी है। नई सरकार के आने के बाद अपने जमीन पर मालिकाना हक पाने की आस से खुश रहने वाले लोग इन दिनों नियमों के जाल में फंसे हुए है।
महासमुंद जिले के नगरीय क्षेत्र के शासकीय जमीन पर कब्जाधारी सैकड़ों लोगों को तहसीलदार ने पट्टा और मालिकाना हक देने के लिए लाखों रुपये टैक्स पटाने का नोटिस जारी किया है। टैक्स नहीं पटाने पर प्रशासन कब्जा खाली कराने की सख्ती कर रही है।
महासमुंद नगर पालिका क्षेत्र के शासकीय जमीन पर सालों से सैकड़ों लोगों कब्जे में रहकर अपना आशियाना बनाकर गुजर बसर करते आ रहे है। वर्तमान सरकार ने ऐसे लोगों को शासकीय कब्जे के जमीन का पट्टा और मालिकाना हक देने के लिए राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत काबिज जमीन का भूभाटा टैक्स अदा कर पट्टा और मालिकाना हक देने की योजना बनाई है।
इसके तहत 800 वर्ग फूट तक के जमीन का पट्टा और मालिकाना हक देने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत नगर पंचायत के लोगों को 5 रूपये प्रति वर्ग फूट और नगर पालिका क्षेत्र के लोगों को 10 रुपये प्रति वर्ग फूट की दर से भूभाटा टैक्स देने पर पट्टा।
गाइड लाइन से सौ प्रतिशत और 2 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स देने पर मालिकाना हक देने का प्रावधान है। इसी प्रकार 800 वर्ग फुट से ज्यादा अतिक्रमण करने वाले को गाइड लाइन के 152 प्रतिशत राशि देने पर व्यवस्थापन देने का प्रावधान है।
इसी कड़ी में तहसीलदार ने महासमुंद के अलग-अलग वार्डों में रहने वाले करीब 619 लोगों को पट्टा और मालिकाना हक के लिए और 696 लोगों को अतिक्रमण व्यवस्थापन के लिए 30 हजार रुपये से लेकर 12 लाख रुपये तक का नोटिस थमा दिया है.
पट्टा नहीं लेने या फिर टैक्स नहीं पटाने पर कब्जा खाली कराने की सख्ती कर रहे है, जिससे कब्जाधारियों की मुसीबत बढ़ गई है और गरीबों की आंखों की नींद हराम हो गई है. लोगों का कहना है कि मेहनत मजदूरी करके किसी प्रकार परिवार का भरण पोषण कर पाते है, ऐसे में लाखों रुपए पट्टे के लिए कहां से पटाएंगे।
इधर गरीबों को लाखों का भूभाटा टैक्स के लिए नोटिस थमाने के मामले में राजस्व विभाग के अधिकारी गरीबों में ही जागरूकता की कमी बताते हुए नियम की दुहाई दे रहे है।
एसडीएम सुनील कुमार चंद्रवंशी का कहना है कि एक बार नोटिस देने के बाद भी लोग पट्टा लेने नहीं पहुंचे, जिससे उनको दोबारा नोटिस भेजकर चेतावनी दी गई है. उसके बाद भी किसी के आवेदन नहीं मिलने पर बेदखली करने के निर्देश उन्हें उपर से मिले है।
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