छत्तीसगढ़

भगवान भरोसे चल रहीं ‘संजीवनी’ और ‘महतारी’

जगदलपुर। जनकल्याणकारी नीति के तहत प्रदेश शासन ने संजीवनी और महतारी योजना के माध्यम से घर से मरीजों को लाने वाहनों की व्यवस्था तो की लेकिन उचित हाथोंं में ना होने से अभी सभी वाहनें भगवान भरोसे ही सड़कों पर चल रही है। ना तो इन वाहनों में आवश्यक प्राथमिक उपचार की दवाईयां होती है और ना वाहनों में आक्सीजन सिलेंडर होता है। किसी वाहन में यदि सिलेंडर दिख गया तो वह खाली होता है। इस प्रकार मरीजों को अस्पताल लाते तक भगवान भरोसे ही इन वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि सभी वाहनें उचित रख-रखाव के अभाव से आज कबाड़ में परिवर्तित होकर अपने उपचार की बाट जोह रही हैं। यह भी इस संबंध में विशेष तथ्य है कि राज्य शासन ने इन वाहनों की संचालन की जिम्मेदारी जीवी के संस्था को सौंपी है और इस सेवा को प्रदान करने की पूरी जवाबदारी इसी की है। जब वाहन चली थी तब इनमें सभी प्रकार की सुविधाएं विद्यमान थीं, लेकिन संचालकों की लापरवाही तथा केवल शासन से कमाई करने के माध्यम को वरीयता देकर इन वाहनों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसका परिणाम यह है कि आज वाहनें बिना साजों सामान के साथ चल रही हैं।
इन वाहनों को चलाने वाली कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा इस संबंध में संस्था को ध्यान दिलाए जाने के बाद भी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की जाती है। उन्हें उस समय अधिक परेशानी होती है और बड़ी ही विचित्र परिस्थिति का सामना करना पड़ता है जब गंभीर प्रकार के मरीजों को राहत दिलाने वाहनों में किसी भी प्रकार का साधन नहीं रहता है और इससे कई मरीजों की तो रास्ते में ही मौत हो जाती है।

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