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EXCLUSIVE : गोपनीय कार्यनियम की संवैधानिकता को चुनौती, शासन को जबाव देने 6 हफ्ते का समय

हाईकोर्ट में सुनवाई गुरुवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दिया आदेश

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के गोपनीय कार्य नियम की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने शासन को नोटिस जारी कर अपना जवाब प्रस्तुत करने 6 सप्ताह का समय दिया है न्यायमूर्ति पृतंकर दिवाकर एवं संजय अग्रवाल की बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश जारी किया। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ कार्यपालक शासन के गोपनीय कार्य नियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में अधिवक्ता अखंड प्रताप पांडेय ने लगाई गई है। उन्होंने अपनी याचिका में राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 166 के खंड (2) (3) में प्राप्त शक्ति के प्रयोग में कार्यपालक शासन के लिए बनाए गए गोपनीय कार्य नियम को संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। श्री पांडेय ने अपनी याचिका में कहा है कि कार्य नियम गोपनीय है अत: वह लोकतंत्र व पारदर्शिता के विपरीत है और भ्रष्टाचार का अवसर देती है।

श्री पांडेय ने कहा कि जनता को कार्यपालक व्यवस्था के काम करने की प्रक्रिया की जानकारी न देने से उनके प्रतिनिधि का चुनाव करने का अधिकार प्रभावित होता है, क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं होती की उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि कैसे अपने कार्य कर रहा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अखंड प्रताप पांडेय ने कुछ राज्यों के उदाहरण भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 77 के तहत कार्यपालक शासन के कार्य नियम की प्रति प्रस्तुत कर इसे लोक दस्तावेज बताया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के कार्यपालक शासन गोपनीय कार्य नियम को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध न्यायालय से किया है।

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