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कृषि मंत्री ने जिसे किया था रिजेक्ट उस प्रतिबंधित कंपनी से अफसरों ने खरीदे नए बीज…. किया 2.61 करोड़ का भुगतान… अब विधानसभा समिति करेगी जांच…

कृषि विभाग में बीज खरीदी का एक बड़ा फर्जीवाड़ा विधानसभा में फूटा है। इसमें डिबार की हुई कंपनी को अफसरों ने 2 करोड़ 61 लाख रुपए का भुगतान किया है। वहीं उससे नए बीज भी खरीद लिए हैं। अब विधानसभा की एक समिति इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच करेगी। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की सहमति के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इसकी घोषणा की है।

प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने यह मामला उठाया। उनके सवाल पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, गुणवत्ता हीन हाइब्रिड बीज आपूर्ति के मामले में इसी सदन में उन्होंने त्रिमूर्ति प्लांट साइंस कंपनी को प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी। इसमें उसका भुगतान भी रोकना था और उसके बीजों को राजसात भी करना था। ऐसा हुआ भी। बाद में इसको डिबार सूची से हटा दिया गया और 2 करोड़ 61 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। यह गलत हुआ है। हम लोगों की जानकारी में बात आई तो इसे फिर से डिबार सूची में डाल दिया गया।

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के यह स्वीकार कर लेने के बाद भाजपा विधायक हमलावर हो गए। उनका कहना था, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत निलंबित करना चाहिए। मामले में विधानसभा की समिति से जांच कराई जानी चाहिए। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, जिस कंपनी को डिबार किया गया, उसे भुगतान नहीं होना चाहिए था। यह बात वे स्वीकार कर रहे हैं। इसमें जांच की स्थिति है। वे उच्च स्तरीय जांच कराएंगे। भाजपा विधायक अधिकारी को निलंबित करने की मांग करने लगे। उसके बाद कृषि मंत्री ने कहा, वे विधानसभा की समिति से मामले की जांच को तैयार हैं। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने जांच की घोषणा की है।

गोठानों में ग्राम सभा के प्रस्तावों की अनदेखी की जांच होगी

भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने गोठान समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े से जुड़ा सवाल उठाया। उनका कहना था, कोरबा जिले में ग्राम सभाओं ने अध्यक्ष बनाने के लिए जिनको प्रस्तावित किया था, उनकी जगह कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को अध्यक्ष बना दिया गया। जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, सभी नियुक्तियां ग्राम-सभा के प्रस्ताव पर ही हुई हैं। ननकीराम कंवर ने जांच की मांग की तो कृषि मंत्री ने पूरे जिले की जांच को असंभव बता दिया। बाद में ननकीराम ने जोगीपाली समिति की जांच कराने की मांग की है। जिस पर कृषि मंत्री ने मुहर लगा दी है।

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