छत्तीसगढ़वायरल

“नागचंपा” को देखने बस्तर में लगा सैलानियों का जमावड़ा, आखिर है क्या नागचंपा ?, पढ़ें पूरी खबर…

जगदलपुर। वैसे तो दुनिया भर में छत्तीसगढ़ के बस्तर की अपनी अलग ही पहचान है। यहां की विशेषता दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। कुछ इसी तरह की एक और विशेषता है बस्तर की जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और वह है दुर्लभ वनौषधि नागचंपा। जी हां यह माना जाता है कि नागचंपा के वृक्षों पर इन दिनों आकर्षक फूल लगने लगे हैं और इसे देखने बड़ी संख्या में सैलानी पंडरीपानी और किरंदुल पहुंच रहे हैं।


दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से नौ किमी दूर गीदम मार्ग पर स्थित पंडरीपानी के आम बगीचे में नागचंपा का करीब 50 फीट है। नागचंपा के ऐसे ही कुछ पुराने पेड़ किरंदुल में भी हैं। बस्तर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व प्रदेश के वरिष्ठ वनस्पति शास्त्री डॉ. एमएल नायक बताते हैं कि यह मूलत: सेन्ट्रल व दक्षिण अमेरिका का फूल है। करीब 50 फीट तक बढऩे वाले नागचंपा वृक्ष को नागकेशर, नागपुष्प भी कहते हैं। इसका अंग्रेजी नाम कोबरास सेफरान है। यह क्यूरोपिटा गजेन्सिस कुल का वृक्ष है। वर्षों पहले देश के आयुर्वेद शास्त्रियों ने इसे बाहर से मंगवाया था। इस फूल की बनावट ही इसकी विशेषता है। लोग इसे भगवान विष्णु के शेषशैया के रूप में देखते हैं।
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. केके शुक्ला बताते हैं कि नागचंपा के फूल-बीज का उपयोग वेदनाहर, कृमिनाशक, रक्त संग्राहक, गर्भ स्थापक, वमननाशक, विषहरण आदि कार्यो में होता है। लोक मान्यता है कि गर्भवती स्त्री नागकेशर का चूर्ण आधा तोला गाय के घी के साथ ग्रहण करे और ऊपर से गाय का ही दूध पिए तो वह वीर संतान को जन्म देती है।

यहाँ भी देखे :  LIVE SUCIDE VIDEO: ट्रेन के सामने बड़े आराम से कूदा युवक

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/gaganmittal/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471