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राहुल गांधी ने कहा- मैं हिंसा को समझता हूं, मैने हिंसा देखी है, बीजेपी डरती है इसलिए…

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में समाप्त हो गई। इस अवसर पर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ विपक्ष के अहम चेहरे इस जनसभा में उपस्थित रहे।

 

भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी ने जनता को संबोधित करते हुए सभी का शुक्रिया अदा किया। साथ ही राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा।

 

बीजेपी डरती है इसलिए…

जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा “चार दिन मैंने जैसे पैदल कश्मीर की यात्रा की, बीजेपी का कोई नेता ऐसे यात्रा नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें डर है। बीजेपी डरती है इसलिए वो कभी मेरी तरह पैदल यात्रा नहीं करेगी।”

 

राहुल गांधी ने आगे कहा, ” मोदी और शाह ने कभी हिंसा नहीं देखी, और न ही उन्हे सहना पड़ा है। मैनें अपनों को खोया है। कश्मीर के लोगों ने मुझे ग्रेनेड नहीं दिया.. बल्कि मुझे प्यार से गले लगाया है।”

 

मैने हिंसा देखी है,सही है,

राहुल गांधी ने संबोधन में कहा देखिए मैं हिंसा को समझता हूं, मैने हिंसा देखी है,सही है, जो हिंसा को नहीं सहा, उसे यह बात समझ में नहीं आएगी। जैसे मोदी जी हैं, शाह जी है, आरएसएस के लोग हैं उन्होंने हिंसा नहीं देखी है तो वो इसे नहीं समझ पाएंगे।

 

उन्होंने आगे कहा, “जम्मू कश्मीर के लोगों को , सुरक्षाबलों को थोड़ा से बताना चाहता हूं कि जब मैं 14 साल का था, स्कूल में था। ज्योग्राफी की क्लास में था। मेरी एक टीचर क्लास में आयी। उन्होंने कहा कि राहुल तुम्हे प्रिंसिपल बुला रही है। प्रिंसिपल ने कहा कि राहुल तुम्हारे घर से फोन है। मुझे लगा कि कुछ गलत हो गया है। मेरे पैर कांपे। फोन कान के पास लगाते ही मेरी मां के साथ एक औरत काम करती है, वह चिल्लाते हुए बोली कि राहुल दादी को गोली मारी। देखिए यह जो मैं कह रहा हूं यह बात प्रधानमंत्री को नहीं समझ आएगी, यह बात अमित शाह को समझ नहीं आएगी। यह बात कश्मीरियों को, सेना और सीआरपीएफ वालों को समझ आएगी। उसने कहा कि दादी को गोली लग गई। मैने वह जगह देखी जहां मेरी दादी का खून था, पापा आए, मां आयी। मां पूरी तरह हिल गई थी, वह बोल नहीं पा रही थी”

 

 

राहुल गांधी ने आगे कहा, “ठीक उसी के सात साल बाद मैं अमरीका में था और फिर से टेलीफोन आया। जैसे बहुत सारे, जैसे पुलवामा में हमारे सैनिक मरे थे, उनके घर टेलीफोन आया होगा, हजारों कश्मीरियों के घर जैसे फोन आया होगा, वैसा ही फोन आया। पिता जी के एक दोस्त का फोन आया मैने कहा पिता जी मारे गए हैं। पिता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, ये सुनकर मैं सुन्न पड़ गया था।” मैं पुलवामा के शहीदों के परिवार वालों का दर्द समझ सकता हूं।

 

अगर जीवन जीना है तो बिना डरे जीना है

शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनता को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने गांधी जी से सीखा है कि अगर जीवन जीना है तो बिना डरे जीना है। हिंदुस्तान प्यार का देश है और इसी नफरत को खत्म करने के लिए मैंने ये यात्रा की। मैं इतने दिनों तक पैदल चला और लोगों के दुखों को समझ पाया।

नफरत से नहीं, मोहब्बत से खड़े हों

अंत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ये विचारधारा की लड़ाई है। जो विचारधारा इस देश की नींव तोड़ने की कोशिश कर रही है। उसके खिलाफ खड़े हों नफरत से नहीं, मोहब्बत से खड़े हों। अगर हम प्यार से अपनी बात रखेंगे तो हम कामयाब होंगे, नफरत की विचारधारा को उनके दिलों से निकाल पाएंगे। बीजेपी ने जो जीने व राजनीतिक का तरीका दिखाया है,उसके खिलाफ हम देश को याद दिलाएं कि हिंदुस्तान इज्तत, भाइचारे और प्रेम का देश है।

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