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नान घोटाला: SIT ने 15 गवाहों को किया तलब…पांच-पांच कर तीन दिनों में दर्ज होंगे बयान…13 से 15 मई के बीच उपस्थित होने नोटिस जारी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में फिर जांच तेज होने वाली है। एसआईटी ने मामले में 15 गवाहों को बयान दर्ज कराने नोटिस जारी कर तलब किया है। गवाहों से लगातार तीन दिनों तक पूछताछ की जाएगी। इसके लिए 13 से 15 मई की तारीख तय की गई है। एक दिन में सिर्फ पांच गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे।

प्रदेश के बहुचर्चित नान घोटाले मामले में लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता के कारण जांच में देरी हो रही थी। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव का पांच चरण संपन्न हो चुका है। दो चरण का मतदान होना बाकी है। कुछ दिनों में वह भी संपन्न हो जाएगा। चुनाव के चलते अधिकारी व्यस्त थे।

नान घोटाले मामले में जांच के लिए समय नहीं दे पा रहे थे, अब चुनाव अंतिम पड़ाव पर है तो अधिकारी भी फ्री हो रहे हैं। अब नान घोटाले मामले में एसआईटी ने जांच तेज करने का निर्णल लिया है। इसी के चलते 15 गवाहों को बयान दर्ज कराने तलब किया गया है।



नोटिस जारी कर सभी को बुलाया गया है। बयान दर्ज कराने 13 से 15 मई के बीच की तिथि तय की गई है। एक दिन में सिर्फ पांच गवाहों का ही बयान दर्ज किया जाएगा। इस प्रकार तीन दिनों में 15 गवाहों का बयान दर्ज किया जाएगा। किस गवाह को किस दिन आना है वह भी तय कर दिया गया है। उसी के आधार पर नोटिस जारी किया गया है।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम में 36 हजार करोड़ के घोटाले का मामला फूटा था। उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने मामले को काफी बार उठाया था। जैसी ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित किया गया।

एसआईटी की टीम ने मामले की जांच शुरू की। इस मामले में 27 लोगों को आरोपी बताया गया था। 15 जून 2015 को कोर्ट में 16 लोगों के विरूद्ध चालान पेश किया गया। जिन 16 लोगों के विरूद्ध न्यायालय में अभियोग पत्र दिया गया था।
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जानिए क्या है पूरा मामला
नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 1459 टेंडरर्स के लिए एक ही ई-मेल आईडी का 235 बार उपयोग किया गया। जबकि सभी के लिए यूनिक आईडी देने प्रावधान था।
एक ही मेल आईडी का उपयोग 309 ठेकेदारों द्वारा लगातार किया गया।

वहीं 17 विभागों के अधिकारियों ने 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोडकरने में किया। जिनका उपयोग वापस उन्हीं के आवेदन भरने के लिए हुआ था।



पीडब्लूडी व जलसंसाधन विभाग ने 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअल जारी किए। जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकले उन्हीं से वापस भरे। ऐसा 1921 टेंडर में हुआ। इनकी कुल लागत 4601 करोड़ रुपए थी।

वहीं टेंडर के लिए 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर का इस्तेमला किया था। एक पैन एक पैन पीडब्लूडी में रजिस्ट्रेशन और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट के लिए। ये आईटी एक्ट की धारा 1961 का उल्लंघन है।

टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी, एक दूसरे के संपर्क में थे। 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिए गए। ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए चिप्स ने पर्याप्त उपाय नहीं किए।

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