रायपुर। प्रदेश के सुदूर अंचलो से आए कमार और भुंजिया विशेष पिछड़ी जनजातियों के बच्चों के लिए राजधानी के शैक्षणिक भ्रमण पर आना एक सुखद और हमेशा के लिए यादगार अनुभव रहा। शैक्षणिक भ्रमण पर आए विशेष पिछड़ी जनजाति के ये बच्चे पहली बार यहां का शहरी जनजीवन, चकाचौंध एवं रहन-सहन को देख कर काफी रोमांचित हुए और यह अनूठा अनुभव उनके स्मृति पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो गया।
छत्तीसगढ़ सरकार विशेष पिछड़ी जनजाति कमार तथा भुंजिया जनजाति के उत्थान के लिए लगातार प्रयास कर रही है। धमतरी जिले में पाई जाने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति कमार तथा भुंजिया बच्चों के शैक्षणिक उत्थान के लिए धमतरी कलेक्टर रजत बंसल तथा सीईओ जिला पंचायत श्रीमती नम्रता गांधी के मार्गदर्शन में धमतरी जिले के नगरी एवं मगरलोड विकासखंड के विशेष पिछड़ी जनजाति कमार एवं भुंजिया के 230 छात्र-छात्राएं दो दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर 16 जनवरी को रायपुर पहुंचे।
ये 230 छात्र-छात्राएं विभिन्न शासकीय विद्यालयों तथा छात्रावास आश्रमों में कक्षा 6वीं से 8वीं तक अध्ययनरत तथा 10 से 14 वर्ष आयु वर्ग के हैं। भ्रमण के प्रथम दिवस ये सभी बच्चे सर्वप्रथम रेलवे स्टेशन गए, जिन बच्चो ने अभी तक ट्रेन केवल चित्रों में देखी थी, उनके लिए ट्रेन एवं रेलवे स्टेशन समक्ष में देखना किसी अजूबे से कम नही था। स्टेशन निदेशक श्री राव द्वारा सभी बच्चों को रेलवे इंजन, ऐसी कोच, जनरल कोच दिखाया गया तथा टिकट काउंटर, पूछताछ काउंटर आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी।
बच्चों ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाते हुए ट्रेन एवं स्टेशन की कार्यप्रणाली के बारे में कई सवाल पूछे तथा अपनी जिज्ञासाओं के समाधान होने पर हर्षित हुए। प्रथम दिवस के दूसरे चरण में बच्चे आधुनिक जीवन की एक झलक पाने के लिए शॉपिंग मॉल भी गए। जहां विभिन्न प्रकार की प्रदर्शित वस्तुएं तथा मनोरंजन के साधनों का अवलोकन कर प्रसन्नता से भर उठे।
भ्रमण के दूसरे दिन बच्चों ने स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट का अवलोकन किया। टर्मिनल प्रभारी द्वारा बच्चों को अराइवल, डिपार्चर, सिक्योरिटी चेक आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी। अभी तक जिस हवाईजहाज को बच्चों ने केवल दूर आकाश पर देखा था एयरपोर्ट से निकल कर बच्चों का अगला पड़ाव था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम। खेल अधिकारी प्रवेश जोशी द्वारा बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान, ड्रेसिंग रूम, वी.आई.पी. गैलरी आदि का अवलोकन करवाया गया तथा बच्चों ने इस दौरान मैदान में क्रिकेट खेलने का भी आनंद उठाया। शैक्षणिक भ्रमण के आखिरी पड़ाव में बच्चे पुरखौती मुक्तांगन पहुंचे जहां उन्होंने अपनी छत्तीसगढ़ी संस्कृति के जीवन शैली और परंपरागत लोक कलाओं का अवलोकन किया।
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