छत्तीसगढ़

खजाने की तलाश में ग्रामीणों ने सत्यानाश कर डाला इस ऐतिहासिक कुंए का

जगदलपुर। ऊंची पहाड़ी पर स्थित जंगलों में शिकार करने के लिए तथा आवश्यक निरीक्षण करने के लिए बनाए गए कुएं को लालचवश ग्रामीणों ने खोदकर इस ऐतिहासिक विरासतोंं को नुकसान पहुंचाया है। जानकारी के अनुसार प्राचीन काल में तत्कालीन शासक अस्त्र-शस्त्र ले जाने की मेहनत तथा कुछ समय अपने ध्यान आदि के लिए पहाडिय़ों पर कुएं नुमा सुरक्षित स्थल बनवाते थे और इसमें वे कुछ काल बिताकर शिकार के साथ ध्यान आदि का कार्य भी करते थे। ऐसे ही एक ऐतिहासिक कुएं का अस्तित्व हजारीगुड़ा की बंगुला डोंगरी के ऊपर पाया गया। यह कुआं तलघर वाला कुआं बताया जाता है, जिसमें कई हथियार सहित सीमित अवधि में रहने के लिए व्यवस्थाएं होती थी। प्राचीन शासक इसे अपना बेहतर शिकारगाह और साधना स्थल मानते थे।

परन्तु इस कुएं में सोना-चांदी होने की आशंका जताते हुए कुछ लोगों ने इसे खोदकर बर्बाद कर दिया है। इस कुएं में एक तलघर भी हथियार रखने के लिए बनाये जाने की जानकारी है। पुराने ग्रामीणों ने प्रदान की लेकिन अब इस कुएं को नुकसान पहुंचने से पहाड़ी में मौजूद कुआं तो दिखता है लेकिन अब तलघर का रास्ता कहीं नहीं दिखता। ग्राम पंडरीपानी सहित मारेंगा और हजारीगुड़ा के ग्रामीण आज भी इसे श्रापग्रस्त मानकर इसकी ओर निगाह नहीं डालते। प्राप्त जानकारी के अनुसार केशलूर मार्ग पर स्थित मेडिकल कालेज के ठीक पहले पामेला के लिए पक्का रास्ता है। इससे आगे बढऩे पर रेलवे पटरी के दूसरी ओर हजारीगुड़ा बस्ती है, जो पंडरीपानी पंचायत का हिस्सा है। हजारीगुड़ा से ही बंगुला डोंगरी और वन का लगा हुआ क्षेत्र है। ग्राम हजारीगुड़ा से करीब दो किमी पहाड़ी पर यह कुआं इन दिनों जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पड़ा है।

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