निर्भया गैंगरेप केस में दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका HC में खारिज हो गई है। कोर्ट ने वकील पर भी 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई 24 जनवरी तक टाल दी थी, लेकिन निर्भया के वकील की दखल के बाद अब आज ही सुनवाई करने का फैसला किया गया है। पवन के वकील एपी सिंह ने नए दस्तावेज पेश करने का समय मांगा था। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पवन ने अपने आपको नाबालिग बताया है। अपनी याचिका में पवन ने कहा कि 2012 में वह नाबालिग था और उसके साथ किशोर न्याय कानून के तहत बर्ताव किया जाए।
निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाए पवन गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह दिसंबर 2012 में हुई वारदात के समय नाबालिग था और ट्रायल कोर्ट ने गलत तरीके से उसके खिलाफ काम किया। याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने एक नाबालिग के तौर पर उसके अधिकारों का हनन किया है।
निर्भया की मां ने जताई खुशी
निर्भया की मां आशा देवी ने कोर्ट के इस निर्णय पर अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मैं आज के निर्णय का स्वागत करती हूं। यह ऐसे लोगों को शिक्षा देने के लिए बहुत जरूरी था।
कोर्ट ने दिया यह आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पवन की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर चुका है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पवन ने जब अपनी पुनर्विचार याचिका लगाई थी तो उसमें नाबालिग होने से जुड़ी कोई बात सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रखी गयी थी, ऐसे में हाइकोर्ट में लगाई गई ये याचिका सिर्फ समय बर्बाद करने के लिए लगाई गई है,ताकि फांसी की सजा को टाला जा सके।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल एक्ट के सेक्शन 7 (A) के तहत कभी भी पवन ने कोई अर्जी नहीं लगाई, जबकि 2012 लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मामला 2018 तक चला। कोर्ट ने कहा कि पवन के पिता ने अपने बयान में पवन की जन्मतिथि 17 जून 1992 बताई थी, जबकि 2018 में उसके स्कूल का जो सर्टिफिकेट दिया गया उसमें उसकी जन्मतिथि 8।10।1996 बताई गई है, इसलिए इस मामले में नाबालिग होने के दावे को सही नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट में पेश नहीं हुए पवन के वकील
पवन के वकील ए पी सिंह आज कोर्ट में पेश ही नहीं हुए। जबकि कोर्ट ने उन्हें आज 2।30 बजे पेश होने के निर्देश दिए थे। लेकिन ए पी सिंह आज पेश नहीं हुए। कोर्ट ने कहा कि उन्हें कोर्ट की तरफ से पेश होने के लिए इन्फॉर्म किया गया था, लेकिन वो नहीं आए।
निर्भया के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि पवन की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट 9 जुलाई 2018 में ही खारिज कर चुका था, जिसके बाद उसकी तरफ से निचली अदालत में नाबालिक होने के दावे से जुड़ी याचिका लगाई गई, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। पवन ने निचली अदालत के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी,आज इसी याचिका को हाइकोर्ट ने भी खारिज कर दिया है।
इससे पहले आज कोर्ट ने सुनवाई 24 जनवरी तक के लिए टाल दी थी लेकिन निर्भया के वकीलों ने कोर्ट में दोबारा मेंशनिंग की कि दोषी पवन के वकील ए पी सिंह जानबूझकर मामले को लंबा खिंचने की कोशिश कर रहे हैं।
तिहाड़ चारों दोषियों को इस मामले में एक हफ्ते का समय देकर दया याचिका लगाने का नोटिस जारी कर चुका है। कल सुप्रीम कोर्ट अक्षय की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर चुका है, इसलिए इस मामले में अब हाइकोर्ट द्वारा सुनवाई योग्य कुछ भी नहीं बचा है। लिहाजा इस मामले में पवन की अर्जी को खारिज किया जाए।
पहले खारिज हुई थी याचिका
पवन ने अपनी अर्जी में खुद को घटना के समय नाबालिग होने की दावा करने वाली अर्जी 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी। निचली अदालत पहले ही उसकी अर्जी खारिज कर चुका है, जिसके बाद वो अपील करने हाईकोर्ट आया था।
निर्भया के गुनाहगारों में से एक पवन कुमार ने दिल्ली हाइकोर्ट में अर्जी दायर कर दावा किया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त वो नाबलिग था। जांच अधिकारी के जरिए उम्र की जांच के लिए मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया था, लिहाजा उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट कर तहत संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।
दया याचिका के लिए 7 दिन
वहीं निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों को दया याचिका दाखिल करने के लिए सात दिन की मोहलत मिली है। पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी करने के लिए कहा।
इस नोटिस में दोषियों को सात दिन की मोहलत दी जाएगी, जिसमें वह अपनी दया याचिका दाखिल कर सकते हैं। अब मामले की सुनवाई 7 जनवरी को होगी। अगर 7 जनवरी से पहले दया याचिका खारिज होती है तो इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट 7 जनवरी को डेथ वारेंट जारी कर सकता है।
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