ऐंटीबॉयोटिक, ऐंटी-ऐलर्जिक, मलेरिया और विटामिन-सी की दवाओं का रेट बढऩे जा रहा है। केंद्र सरकार ने 21 महत्वपूर्ण दवाओं के सिलिंग प्राइस में 50 फीसदी बढ़ोतरी की मंजूरी दी है। ड्रग प्राइस रेगुलेटर NPAA ने शुक्रवार को कहा कि 21 महत्वपूर्ण दवाओं की सिलिंग प्राइस में एकबार 50 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है। सिलिंग प्राइस का निर्धारण सरकार करती है, वैसे दवाओं की कीमत कंपनी द्वारा बाजार के आधार पर किया जाता है।
फॉर्मा सेक्टर लंबे समय से NPAA से कीमत रिवाइज करने की मांग कर रहा था। उनका कहना था कि दवाई बनाने में इस्तेमाल होने वाला रॉ कंपोनेंट महंगा हो गया है, इसलिए एकबार कीमत बढ़ाने की अनुमति दी जाए। दवाई बनाने में कई कंपोनेंट चीन से मंगाए जाते हैं और ट्रेड वॉर के कारण कीमतों में लगभग 200 फीसदी तक उछाल आया है।
NPAA की तरफ से कहा गया कि ये सभी महत्वपूर्ण दवाएं हैं। इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और ये दवाएं देश के पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम के लिए जरूरी हैं। दवा बनाने वाली कंपनियों ने कई बार सरकार से इनका प्रॉडक्शन बंद करने की अपील की, जिसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया।
नियम के अनुसार दवाओं की कीमत मार्केट के आधार पर तय की जाती है। कॉस्टिंग के आधार पर इसकी कीमत तय नहीं होती है। लेकिन, सरकार ने जरूरी दवाओं के लिए विशेष नियम बनाया है। इसकी उपलब्धता हर जगह है और ये बहुत सस्ती होती हैं।
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