नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की एक संयुक्त याचिका पर आदेश दिया है कि कल (बुधवार) शाम 5 बजे से पहले विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हो। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट का लाइव प्रसारण भी हो।
जस्टिस रमना ने आज मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट और विधायिका के अधिकार पर लंबे समय से बहस चली आ रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए और लोगों को अच्छे शासन का अधिकार है। इस मामले ने राज्यपाल की शक्तियों को लेकर बहुत अहम संवैधानिक मुद्दे को उठाया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक और उत्तराखंड के मामलों को भी जिक्र किया। कल सुबह 11 बजे विधायकों का शपथ ग्रहण हो, शाम 5 बजे तक बहुमत परीक्षण हो। कोर्ट ने कहा कि विधायकों को शपथ प्रोटेम स्पीकर करवाएंगे।
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि यह आदेश मील का पत्थर साबित होगा। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर संविधान की जीत हुई है। मैं मांग करता हूं कि देवेंद्र फडणवीस तुरंत अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपे।
शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस द्वारा लगाई गई याचिका में राज्यपाल द्वारा अचानक से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने और आनन फानन में देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलवाने के खिलाफ कोर्ट का रुख किया था।
इसके साथ ही इन तीनों पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट करवाने की भी अपील की थी। रविवार और सोमवार को सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए आज का दिन निर्धारित किया था।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ के समक्ष शिवसेना की तरफ से वकील कपिल सिब्बल, एनसीपी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी, देवेंद्र फडणवीस की तरफ से मुकुल रोहतगी पेश हुए थे और अजित पवार की तरफ से वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह पेश हुए थे।
केंद्र यानि राज्यपाल की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखी थी। कोर्ट ने रविवार और सोमवार को इस मामले में सभी पक्षों की दलीले सुनीं और अपना फैसला आज (मंगलवार) तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
सोमवार को कोर्ट में राज्यपाल की तरफ से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने अजित पवार के समर्थन की वह चिट्ठी भी पेश की जिसमें 54 विधायकों के समर्थन की बात कही गई थी।
कोर्ट को बताया कब-कब क्या क्या हुआ
सोमवार को केन्द्र के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता चुनाव परिणाम से अब तक का घटनाक्रम कोर्ट को बताया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्यपाल ने कब-कब क्या किया। तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने 9 नवंबर तक इंतजार किया। BJP ने मना कर दिया।
10 तारीख को शिवसेना से पूछा तो उसने भी मना कर दिया। 11 को एनसीपी ने भी मना किया तो राष्ट्रपति शासन लगाया गया। उसके बाद से किसी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। अजित पवार का समर्थन पत्र पेश हुए, NCP के विधायक दल के नेता के तौर पर जिसमें 54 विधायक का नाम है।
अजित पवार ने 54 विधायकों की चिट्ठी सौंपी थी
तुषार मेहता ने कहा कि क्या आर्टिकल 32 की याचिका में राज्यपाल के आदेश को इस तरह से चुनौती दी जा सकती है या नहीं? राज्यपाल को पता था कि चुनाव पूर्व का एक गठबंधन जीता है। राज्यपाल की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को अजित पवार की चिट्ठी सौंपी जिसमें 54 विधायकों के नाम थे।
उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को चुनाव हुआ, 24 को नतीजा घोषित हुआ, BJP के 105 सदस्य है शिवशेना के 56 सदस्य NCP के 54 सदस्य है। शिवसेना और BJP का प्री पोल अलाइंस था। सबसे पहले BJP को बुलाया गया वह बहुमत नही साबित कर पाए उसके बाद शिवसेना को बुलाया गया वह भी बहुमत नही साबित कर पाए उसकके बाद NCP को बुलाया गया था।
अजित पवार की चिट्ठी के बाद ही राज्यपाल ने हटाया राष्ट्रपति शासन
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के पत्र के आधार पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी। गवर्नर के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि देवेंद्र फडणवीस की चिट्ठी में लिखा गया है कि उनके साथ NCP के 54 विधायकों के साथ 11 निर्दलीय का समर्थन है।
अजित पवार विधायक दल के नेता हैं।उन्होंने चिट्ठी पढ़ी। जिसमें कहा है कि मुझे सभी एनसीपी विधायकों का समर्थन है। हमने तय किया है कि फडणवीस को समर्थन दें। चिट्ठी में कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन ज्यादा नहीं चलने चाहिए, इसलिए उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया जाए।
तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने अपने विवेक से सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया है, उसका पर्याप्त आधार है। राज्यपाल की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा कि मुझे दो से तीन दिन का वक्त दिया जाए, ताकि रिप्लाई फाइल किया जा सके।
तुषार मेहता ने कहा कि इनको चिंता है कि विधायक भाग जाएंगे। अभी इन्होंने किसी तरह से उनको पकड़ा हुआ है। विधानसभा की कार्रवाई कैसे चले? इसमें दखल से भी कोर्ट को परहेज करना चाहिए।
मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसे हड़बड़ी में नहीं निपटाया जा सकता
देवेंद्र फडणवीस के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि अजित पवार ने कहा कि हमारा समर्थन आपके साथ है। वे लोग हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं, और हम पर आरोप लगा रहे हैं। हमारे चुनाव पूर्व साथी शिवसेना ने चुनाव के बाद हमारा साथ छोड़ दिया।
फिर एनसीपी आई और हमारे सदस्य 170 हो गए। राज्यपाल ने हमें आमंत्रण दिया। अजित पवार हमारे साथ हैं। एक पवार दूसरी तरफ बैठे हैं। जिनके पारिवारिक झगड़े से हमे कोई लेना देना नहीं है। ये केस येदुरप्पा मामले से अलग है। मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसे हड़बड़ी में नहीं निपटाया जा सकता।
रोहतगी ने कहा कि अब जो होगा विधानसभा के फ्लोर पर होगा। लेकिन राज्यपाल पर आरोप क्यों? उन्होंने भी तो फ्लोर टेस्ट के लिए ही बोला है। फ्लोर टेस्ट कब होगा ये तय करने का अधिकार राज्यपाल का है। इसे कोर्ट को तय नहीं करना चाहिए।
राज्यपाल पर आरोप लगाना गलत है। फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल को नहीं कहा जा सकता कि कितने दिन में कराना है। यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है। राज्यपाल के कदम को दुर्भावना से प्रेरित नहीं कहा जा सकता।
‘मैं ही एनसीपी हूं’
अजित पवार के वकील पूर्व सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने कहा, ‘मैंने 22 नवंबर को एनसीपी विधायक दल के नेता के रूप में काम किया। उस दिन अन्यथा दिखाने के लिए कुछ भी नहीं था। राज्यपाल ने अपने विवेक से कार्य किया।अजित पवार की ओर से मनिंदर सिंह ने कहा, ‘जो चिट्ठी राज्यपाल को दी गई वो कानूनी रूप से सही। फिर विवाद क्यों?
अजित पवार ने कहा था कि मैं एनसीपी हूं। विधायक दल का नेता हूं। यही सही है, कोर्ट को आर्टिकल 32 के तहत इस याचिका को नहीं सुनना चाहिए। इन्हें हाईकोर्ट जाने को कहना चाहिए। अगर बाद में कोई स्थिति बनी है इसे राज्यपाल देखेंगे। उनके ऊपर छोड़ा जाए। कोर्ट इसमें दखल क्यों दें?’
जस्टिस रमना ने कहा, क्या आदेश देना है, ये हम पर छोड़ दें
जस्टिस रमना ने कहा, क्या आदेश देना है, ये हम पर छोड़ दें। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी को कहा कि अपनी दलीलों को याचिका कि मांगों तक सीमित रखिए। इस पर सिंघवी ने कहा, ‘Mylord आपका कहना सही है। मगर वे बातें अंतरात्मा को धक्का पहुंचती है, जब कोई कोर्ट में खड़ा होकर कहता है कि मैं एनसीपी हूं।’
सिंघवी ने कहा कि अजित पवार को विधायक दल का नेता चुनने के लिए किए गए विधायकों के हस्ताक्षर राज्यपाल को दिए गए पत्र में लगा दिए गए हैं। सिंघवी ने कहा कि मैं इन बातों पर जोर नहीं देना चाहता, मगर ये बातें अपने आप में आधार हैं। फ्लोर टेस्ट आज ही हो जाना चाहिए। सिंघवी और रोहतगी में बहस होने पर जस्टिस रमना ने दोनों को शांत होने के लिए कहा।
रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए कोई महीनों का समय नहीं दिया है। उन्होंने 30 नवंबर को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश नहीं दे सकता।
ये कह रहे हैं कि कोर्ट सत्र बुलाये और ये भी तय करे कि को कब नाश्ता करेगा और कब लंच करेगा। मुकुल रोहतगी ने कहा कि पूर्व में कोर्ट ने संसद की कार्रवाई में दखल देने से मना किया था। इनका केस यह है कि आज ही फ्लोर टेस्ट हो।
एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट को सही कह रहे हैं तो फिर इसमें देर क्यों? इसी तर्क के केस में कोर्ट के पुराने आदेश हमारे सामने हैं, उनकी उपेक्षा नहीं कि जा सकती। अनकवरिंग लेटर और अनएड्रेस लेटर को राज्यपाल ने कैसे स्वीकार किया।
जब कोर्ट में सब हंसने लगे
तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, ‘आपके आदेश का दूरगामी असर होगा। विस्तृत सुनवाई के बाद ही आदेश जारी करें। जो चिट्ठी राज्यपाल को दी गई वो कानूनी रूप से सही है। इस मामले में पूर्व के कुछ आदेशों के आधार पर अंतरिम आदेश न दें।
इस मामले में हमें विस्तृत जवाब दायर करने दीजिए।’तुषार मेहता ने कहा कि ये लोग एक याचिका दायर कर यहां आए हैं और एक वकील पर तो सहमत नहीं हो पाए। गठबंधन में सहमत कैसे हो पाएंगे।
कोर्ट में सब हंसने लगे।तुषार मेहता ने कहा कि जो नई चिट्ठी ये कोर्ट को दे रहे हैं, उसमें भी कई विधायकों के नाम पते नहीं है। आपके अनुसार हम फ्लोर टेस्ट हारने को तैयार हैं। तो फ्लोर टेस्ट तय समय पर होने दो। जस्टिस खन्ना ने कहा कि यह बात आपकी याचिका में नहीं है, इसे न बोलें।
शिवसेना के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 22 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। ऐलान किया कि एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस मिलकर सरकार बना रही हैं। ये शाम को 7 बजे हुआ। सुबह 5 बजे तक राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला क्यों लिया गया?ऐसा राष्ट्रीय आपातकाल क्या था। यह दुर्भाग्यपूर्ण था।
देश मे ऐसी क्या राष्ट्रीय विपदा आ गई थी कि सुबह 5 बजे राष्ट्रपति शासन हटा और 8 बजे मुख्यमंत्री की शपथ भी दिलवा दी गई। जिस तरह पीएम के कहने पर बिना कैबिनेट मीटिंग के फैसले हुआ, वह आपातकालीन प्रावधान है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि यह बात आपकी याचिका में नहीं है, इसे न बोलें।
शिवसेना के वकील सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को तत्काल फ्लोर टेस्ट का आदेश देना चाहिए। 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। कोर्ट ने पहले भी किया है, आज भी करना चाहिए। सबसे सीनियर मेंबर प्रोटेम स्पीकर होता है, वीडियो रिकॉर्डिंग होती है। कोर्ट को आदेश देना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले रविवार को अहम सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल, सीएम और डिप्टी सीएम को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में गवर्नर (केंद्र), सीएम और डिप्टी सीएम को राज्यपाल को सौंपे गए दस्तावेज आज कोर्ट में पेश करने को कहा था।
यह भी देखें :
26/11 हमले के 11 साल पूरे…मुंबई में 60 घंटे तक चला था खूनी खेल!…
Add Comment