रायपुर। शुक्रवार को अभविप द्वारा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव को आइ.टी.एम विश्वविद्यालय में पढ़ रहे बी.एस.सी (एम.एल.टी /मेडिकल लैब टेक्निशियन) के छात्रों का विगत एक साल से पंजीकरण नहीं हो रहा है जिससे छात्र शासकीय सेवा से वंचित है ।
छात्र लागतार प्रदेश पैरमेडिकल काउन्सिल के पास अपना आवेदन भी दे चुके पर उनके द्वारा गोलमाल कर विद्यार्थियों को घुमाया जा रहा है। राज्य सरकार के अधिकारी पैरामेडिकल कॉउन्सिल के कुलसचिव डॉ. जितेंद्र तिवारी के द्वारा यह बात बोल कर विद्यार्थियों को घुमाया जा रहा की आपका विश्वविद्यालय पैरमेडिकल काउंसिंल से पंजीकृत नहीं है परंतु निजी विश्वविद्यालय व छत्तीसगढ़ सह-चिकित्सकीय परिषद द्वारा अपने ही नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
वर्ष 2009 को छतीसगढ़ सह चिकित्सकीय परिषद द्वारा एवं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में छ.ग राज्य गठन से 2004 तक टेक्निशन पाठ्यक्रम (एक वर्ष अवधि का सर्टिफि केट ,दो वर्ष अवधि का डिप्लोमा, तीन वर्ष अवधि का डिग्री ) प्रवेशित छात्र, जिन्होंने ऐसी संस्था जो की शासन से मान्य परीक्षा संचालन करने वाली संस्था (विश्वविद्यालय / बोर्ड/ पैरमेडिकल मान्य संस्था / शासकीय स्वशासी संस्था/ उपरोक्त(अ) अनुसार संस्था जिसे परीक्षा संचालन की बी अनुमति प्राप्त हो / अन्य शासन से परीक्षा संचालन हेतु मान्य संस्था) से उत्तीर्ण किया हो पंजीयन हेतु मान्य होगा। अपने इस नियम का पालन नहीं कर रहा है।
आइ.टी.एम विश्वविद्यालय एक निजी विश्वविद्यालय है जो नियम में पूर्णता सही है परंतु पैरमेडिकल काउन्सिल के कुलसचिव के द्वारा छात्रों को भटकाया जा रहा है विद्यार्थियों से पंजीकृत का आवेदन पत्र ना लिया और नहीं लेना लिखित में कोई जवाब भी नहीं दिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय द्वारा भी शासन को पत्र भेजा गया है परंतु कोई जवाब अभी तक नहीं आया है। विद्यार्थी विगत एक वर्ष से ज़्यादा समय से विश्वविद्यालय आयोग, कलेक्टर ,पैरमेडिकल काउन्सिल , उच्च विभाग के चक्कर लगा रहे है परंतु अभी तक इनकी समस्या का कोई निराकरण नहीं हुआ है ऐसे में अभी 50 विद्यार्थियों का और आने वाले समय में 300 विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। विद्यार्थी विश्वविद्यालय और शासन के बीच में फंस गए है।
अभविप ने मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द इसका निराकरण कर विद्यार्थियों का पंजीकरण किया जाए। छात्र हित मे फैसला लिया जाहे जिससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जाने से बच जाएगा।
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