देश के सबसे पुराने केस अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए शिया वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया है।
फैसले से पहले शिया वक्फ बोर्ड के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि हमारा कहना था कि मीर बाकी शिया था और किसी भी शिया की बनाई गई मस्जिद को किसी सुन्नी को नहीं दिया जा सकता है।
इसलिए इस पर हमारा अधिकार बनता है और इसे हमें दे दिया जाए। शिया वक्फ बोर्ड चाहता था कि वहां इमाम-ए-हिंद यानी भगवान राम का भव्य मंदिर बने, जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की जा सके।
शिया वक्फ बोर्ड का क्या था दावा
शिया वक्फ बोर्ड की ओर से बोर्ड के चेयरमैन सैय्यद वसीम रिजवी ने कहा था कि साक्ष्यों के अधार पर बाबरी मस्जिद शिया वक्फ के अधीन है। यह बात अलग है कि पिछले 71 बरस में शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से इस पर दावा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि वक्फ मस्जिद मीर बाकी (बाबरी मस्जिद) शिया वक्फ के तहत आती है।
रिजवी ने और क्या कहा था
शिया वक्फ बोर्ड विवादित जगह पर मंदिर बनाए जाने की बात खुले तौर कहता रहा है। वसीम रिजवी ने कहा कि विवादित जगह पर मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण किया जाता है, तो इससे दोनों समुदाय में संघर्ष की संभावना बनी रहेगी।
इससे बचा जाना चाहिए। इसके लिए विवादित जगह पर राम मंदिर का निर्माण किया जाए और विवादित जगह से छोड़ी दूर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जाए।
रिजवी ने कहा कि शिया बोर्ड के पास 1946 तक विवादित जमीन का कब्जा था और शिया के मुत्वल्ली हुआ करते थे, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया था। बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद बनवाने वाला मीर बकी भी शिया था। इसीलिए इस पर हमारा पहला हक बनता है।
40 दिन तक हुई रोजाना सुनवाई
इस मामले की 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे।
यह भी देखें :
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अयोध्या में बनेगा राम मंदिर…मुस्लिम पक्ष को दी जाएगी जमीन…
Add Comment