जगदलपुर। प्रदेश के राजकीय पक्षी के रूप में मान्यता प्राप्त पहाड़ी मैना या बोलने वाली मैना की मौत हो गई। उसे स्थानीय वन विद्यालय में बनाए गए बड़े पिंजरेे में सुरक्षित रूप से रखी गई थी।
राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना अपनी जिंदगी पिंजरे में रहते-रहते हार गई और उसकी मौत हो गई। यह मैना पिछले 15 वर्षों से पिंजरे में रही और समझा जा रहा है कि आयु होने के कारण इसकी स्वाभाविक मौत हुई है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के राजकीय पक्षी के रूप में मान्यता प्राप्त पहाड़ी मैना या बोलने वाली मैना के संरक्षण व संवर्धन के लिए वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं। तत्कालीन राज्य मध्यप्रदेश में वर्ष 1992 में जंगल से पकड़कर लाई गई पहाड़ी मैना को रखने के लिए पिंजरा बनाया गया था।
काफी छोटा होने के कारण विशेषज्ञों की सलाह पर 13 साल बाद इसकी जगह बड़ा पिंजरा तैयार किया गया। इस पिंजरे में चार मैना रखी गई थी। समय के साथ ही इनमें से कुछ मैना बीमारी से चल बसी तो एक सांप का शिकार हो गई थी। जिसके बाद सिर्फ एक मैना ही पिंजरे में रह गई थी। इसकी मौत भी चार दिन पहले हो गई।
राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बनने के साथ ही पहाड़ी मैना या बोलने वाली मैना को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया। यह मैना किसी भी आवाज की हुबहू नकल कर लेती है।
इस संबंध में सीसीएफ (वन्यप्राणी) एके श्रीवास्तव ने बताया कि मैना लगभग 15 सालों से पिंजरे में थी और इसकी स्वाभाविक मौत हुई है। उन्होंने तस्दीक कर ली है, मैना को किसी तरह की बीमारी भी नहीं थी और न ही यह किसी दुर्घटना का शिकार हुई है।
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