रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद हजारों आदिवासियों के लिए बड़ी खबर है। आबकारी एक्ट में गिरफ्तार कर जेलों में बंद बस्तर संभाग व राजनांदगांव जिले के आदिवासियों की रिहाई जल्द हो सकती है।
आदिवासियों पर दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए बनी विशेष समिति ने आबकारी एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों को समाप्त करने की अनुशंसा करने का निर्णय लिया है। बुधवार को न्यू सर्किट हाउस में हुई विशेष समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
आदिवासियों पर दर्ज आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एके पटनायक ने कहा कि बस्तर संभाग के सात व राजनांदगांव जिले में आदिवासियों के खिलाफ दर्ज उन प्रकरणों की समीक्षा की गई। आबकारी एक्ट के तहत दर्ज मामलों पर विचार किया गया।
आदिवासियों पर आबकारी एक्ट के तहत ऐसे कई मामले दर्ज हैं, जिनमें तय सीमा से अधिक शराब रखने का आरोप है। ज्यादातर आदिवासी इलाकों में लोगों को कानून व नियमों की जानकारी नहीं होती है, इसलिए ऐसे प्रकरणों में उन्हें राहत दे देनी चाहिए। आज की बैठक में समिति ने यही निर्णय लिया है।
नक्सल मामलों में दर्ज प्रकरणों पर भी आगे की बैठकों में समीक्षा की जाएगी। हालांकि आबकारी एक्ट के तहत ऐसे कितने प्रकरण हैं, जिनमें आदिवासियों को रिहा करने की अनुशंसा की जाएगी, इसकी संख्या अभी स्पष्ट नहीं है।
माना जा रहा है कि ऐसे आठ हजार से अधिक प्रकरण होंगे, जिनमें आबकारी एक्ट के तहत बस्तर संभाग के सात व राजनांदगांव जिले के आदिवासी प्रदेश की विभिन्न् जेलों में बंद हैं।
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