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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी क्रांति कुमार ढीढी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई…जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नगरवासी हुए शामिल…

भखारा। धमतरी जिले के अंतिम जीवित स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकुमार ढीढी का शुक्रवार को निधन हो गया। शनिवार को भखारा नगर में थाना परिसर के पास आरक्षित जमीन पर राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। ढीढी की विदाई यात्रा में जिले एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नगरवासी शामिल हुए।

अंतिम संस्कार यात्रा के पूर्व स्व. ढीढी के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान वार्ड क्रमांक-11 में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां उनके परिजनों एवं नागरिकों द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात पुलिस प्रशासन द्वारा उनके पार्थिव शरीर को तिरंगा झंडा से लपेटकर शव यात्रा निकाली गई, जो नगर भ्रमण करते हुए समाधि स्थल पहुंची।



इस बीच रास्तेभर नगरवासी क्रांति कुमार अमर रहे के नारे लगाते रहे। अंतिम संस्कार के पूर्व पुलिस द्वारा सलामी दी गई। इसके बाद परिजनों ने स्व. ढीढी केे पार्थिव शरीर को सामाजिक रीति-रिवाज के अनुरूप दफन किया। उनके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। भखारा में महिलाओं ने पहली बार अंत्येष्ठि स्थल पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

विदित हो कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी क्रांतिकुमार ढीढी (वास्तविक नाम फेरहू राम) पिता सुनहर राम का जन्म 20 दिसम्बर 1922 को कुरूद के ग्राम भठेली में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा भखारा में पूरी की। अंग्रेजी शासन काल के दौरान सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में ढीढी ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत द्वारा रायपुर जेल में उन्हें 6 माह की सजा हुई। तत्पश्चात रायपुर के सामान्य स्कूल में सन् 1945 में ट्रेनिंग समाप्त कर शासकीय प्राथमिक शाला छाती में उनकी पहली पदस्थापना हुई।



इसके उपरान्त शिक्षा के तौर पर सिंधौरीकला, भैंसामुड़ा, रिसगांव, भानपुरी, भठेली, जोरातराई, सिलौटी, कचना, थूहा और टिपानी की प्राथमिक शालाओं में कुशल शिक्षक व प्रधानपाठक के तौर पर 32 साल तक अपनी सतत् सेवाएं देने के उपरांत वर्ष 1980 में सेवानिवृत्त हुए।

उल्लेखनीय है कि देश की आजादी के लिए ढीढी द्वारा किए गए संघर्ष के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया था। इस मौके पर दो मिनट का मौन धारण करने के बाद जनप्रतिनिधियों ने उनके पुत्र घनश्याम सिंह, हीरालाल, चोवाराम, पुत्री लीना, लता एवं खोमलता को ढांढस बंधाया।

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