दिल्ली। सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत मिली है। दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं को राहत दी है।
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर आरोप था कि मानहानि के एक मामले में सरकारी खजाने से वकील राम जेठमलानी को फीस दी गई। जेठमलानी को जिस केस के लिए नियुक्त किया गया था वो निजी केस था लेकिन केजरीवाल और सिसोदिया ने जेठमलानी की फीस सरकारी खजाने से दी।
इस मामले में शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता प्रदीप मित्तल हैं। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि ये मामला एक तरह से भ्रष्टाचार का है। दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट प्रदीप मित्तल ने कोर्ट में रिव्यू पेटिशन दायर कर के कहा था कि अरुण जेटली की ओर से केजरीवाल पर किए गए मानहानि केस में वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को सरकारी खर्च पर केजरीवाल ने नियुक्त किया था।
याचिकाकर्ता का कहना था कि यह केजरीवाल का पर्सनल केस था. ऐसे में वकील को दी जाने वाली फीस सरकारी खर्चे से कैसे दी जा सकती है। सोशल मीडिया और ट्विटर हैंडल पर यह बात कही गई कि अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली के खिलाफ अपना मानहानि का मुकदमा लडऩे के लिए राम जेठमलानी को करीब चार करोड़ रुपए सरकारी खर्चे से दिए।
केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के वकील ने कोर्ट से कहा था कि राम जेठमलानी को किसी तरीके की कोई फीस नहीं दी गई है। उन्होंने केजरीवाल के लिए यह केस फ्री में लड़ा था।
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