श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर में करीब 70 दिनों बाद आज से मोबाइल फोन की घंटियां बजनी शुरू हो गई हैं। सोमवार दोपहर से घाटी के 40 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन एक्टिव हो गए हैं। ये सभी फोन पोस्टपेड सेवा वाले हैं। राज्य सरकार ने दो दिन पहले पोस्टपेड सेवाओं पर पाबंदी हटाने का फैसला लिया था। सोमवार से मोबाइल पोस्टपेड सेवाएं बहाल कर दी गईं।
सरकार ने फिलहाल पोस्टपेड मोबाइल पर कॉलिंग की सुविधा शुरू करने का फैसला लिया है। लोगों को मोबाइल इंटरनेट के लिए अभी कुछ और दिनों का इंतजार करना पड़ेगा। इसके साथ ही प्रीपेड सेवा पर भी फैसला बाद में होगा।
जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को 5 अगस्त को रद्द करने के बाद से ही कश्मीर में एहतियात के तौर पर मोबाइल फोन सेवाओं और इंटरनेट सुविधाओं को बंद कर दिया गया था। इस अवधि के दौरान हालांकि जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में मोबाइल फोन सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन कश्मीर घाटी में पांच अगस्त से इन पर प्रतिबंध बना हुआ है।
श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा-घाटी में समग्र स्थिति में सुधार के बाद सोमवार सुबह से पोस्ट-पेड मोबाइल फोन सेवाओं को बहाल करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
5 अगस्त से इंटरनेट सेवाएं बंद इंटरनेट सुविधा की बहाली पर हालांकि कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। घाटी में 5 अगस्त से इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं। सूत्रों का कहना है कि शुरू में केवल बीएसएनएल पोस्ट-पेड मोबाइलों पर ही मोबाइल फोन कनेक्टिविटी की अनुमति देने का फैसला किया गया था।
लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुछ स्थानीय लोगों के पास बीएसएनएल का पोस्ट-पेड कनेक्शन नहीं है, विभिन्न सेवा प्रदाताओं के सभी पोस्ट-पेड मोबाइल फोन पर सेवाओं को बहाल करने का निर्णय लिया गया है। मोबाइल फोन की बहाली से पेशेवरों, छात्रों, व्यवसायियों और आम आदमी को राहत मिलेगी।
मोबाइल फोन की बहाली की हो रही मांग पर्यटक उद्योग से जुड़े स्थानीय लोग मोबाइल फोन की बहाली की मांग कर रहे हैं, ताकि वे बुकिंग सुनिश्चित कर सकें और उन ग्राहकों से संपर्क कर सकें, जो घाटी में घूमने के लिए आना चाहते हैं। अधिकारियों ने अगस्त में जारी की गई उस एडवाइजरी को भी वापस ले लिया है, जिसमें पर्यटकों को घाटी का दौरा नहीं करने के लिए कहा गया था।
इससे पहले जम्मू एवं कश्मीर में स्कूल, कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थान भी खोले जा चुके हैं. इनमें हालांकि अभी तक छात्रों की काफी कम संख्या देखी जा रही है।कश्मीर में सार्वजनिक परिवहन अभी भी सड़कों से दूर है। यहां सामान्य स्थिति कायम करने के लिए इसकी बहाली अगला तर्कसंगत व बड़ा कदम होगा।
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