नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सरकार ने लोगों से अपील की थी कि वह सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) का इस्तेमाल न करें। हालांकि, सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया है।
इस सिलसिले में भारतीय रेल में केटरिंग की सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनी IRCTC ने भी एक बड़ा कदम उठाया है। IRCTC ट्रेनों में ‘रेल नीर’ (Rail Neer) ब्रांड के तहत पानी बेचता है। आईआरसीटीसी अब रेल नीर की पैकेजिंग बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल से करेगा।
इस रूट पर शुरू हुई सेवा
आईआरसीटीसी ने इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी दी है। ट्वीट में लिखा गया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक से निपटने के उद्देश से रेल नीर की बायोडिग्रेडेबेल पैकेजिंग (Bio-degradable Packaging) को सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया गया है। इसकी सप्लाई पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ-नई दिल्ली-लखनऊ रूट पर शुरू कर दी गई है।
रेल नीर से सालाना 176 करोड़ रुपये की कमाई
रेलवे को रेल नीर से करीब 176 करोड़ रुपये सालाना की कमाई होती है। रेलवे की कुल आय में रेल नीर का हिस्सा 7।8 फीसदी ही होता है। रेल नीर के लिए रेलवे के पास अभी तक देशभर में 10 प्लांट हैं, जिनकी क्षमता 10.9 लाख लीटर प्रतिदिन है। रेलवे जल्द ही 6 नए प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा रेल नीर के 4 नए प्लांट 2021 तक लाने के लिए कंपनी के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है।
पूरी तरह से नहीं बैन है सिंगल यूज प्लास्टिक
सरकार की योजना सिंगल यूज प्लास्टिक के छह आइटम्स पर प्रतिबंध लगाने की थी, लेकिन अर्थव्यवस्था में पहले से मौजूद सुस्ती और कर्मचारियों की छंटनी की वजह से आशंका है कि प्लास्टिक पर बैन से स्थिति और बिगड़ सकती है।
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दो सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सरकार प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट, छोटे बोतल, स्ट्रॉ और कुछ चुनिंदा प्रकार के शैशे पर तुरंत रोक नहीं लगा रही है। इसके बदले सरकार लोगों को इन चीज़ों के इस्तेमाल रोकने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
लोगों को जागरूक करने की तैयारी
पर्यावरण मंत्रालय के शीर्ष ब्यूरोक्रेट चंद्र किशोर मिश्रा ने कहा कि सरकार ने राज्यों को सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग के लिए एडवायजरी जारी की है। सरकार ने राज्यों को कहा कि प्लास्टिक के बने आइटम्स को बाहर करने का रास्ता दिखाएं।
पहले चरण में लोगों को प्लास्टिक आइटम्स के नुकसान के बारे में जागरूक करें। लोग जागरूक होंगे तो वो खुद प्लास्टिक का इस्तेमाल छोड़ देंगे। उसके बाद दूसरे चरण में इसका विकल्प उपलब्ध कराएं।
वहीं ‘स्वच्छ भारत’ की ओर से ट्वीट कर कहा गया, ‘पीएम मोदी की ओर से 11 सितंबर 2019 को शुरू किए गए ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करना नहीं, बल्कि इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता लाकर जन-आंदोलन बनाना है। इस ट्वीट में पीएमओ को भी टैग किया गया है।
क्या होता है सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक को एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक की थैलियां, प्याले, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक हैं।
ये दोबारा इस्तेमाल के लायक नहीं होती हैं, इसलिए इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद इनको फेंक दिया जाता है। दरअसल इस तरह की आधी से ज्यादा प्लास्टिक पेट्रोलियम आधारित उत्पाद होते हैं। इनके उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है।
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