
रायपुर। रेत खदान को लेकर फिर से जंग छिड़ गई हैं। कांग्रेस सरकार ने पंचायत से छीन कर अब इन्हें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक निगम को दे दी हैं। ताकि नियमों के तहत लोगों को रेत खदान मिल सके।
वहीं इस पूरे मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने कहा सरकार जो नियमों का हवाला दे रही हैं इससे साफ है कि अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों का हवाला दे रही है। जबकि कांग्रेस सरकार पंचायत के अधिकार का हनन कर रही हैं। बीजेपी सरकार में अवैध रेत खनन के मामलों की शिकायत कभी नहीं आई हैं।
बल्कि पंचायतों को इससे लाभ होता था। सत्तासिन पार्टी का कहना है कि वो छत्तीसगढिय़ों की सरकार है लेकिन पंचायत में जो ग्रामीण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनको लेकर सरकार का यह रवैया समझ से परे हैं।
सरकार ने अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए पंचायतों के अधिकार पर डाका डाल दिया हैं। टेंडर की प्रक्रिया इस बात का सबूत है कि यह सरकार छत्तीसगढिय़ों की सरकार नहीं हैं।
वहीं पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने इस पूरे मामले में भूपेश सरकार पर वादाखिलाफी का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एक ओर भूपेश सरकार सभी ग्राम पंचायतों में पेसा एक्ट लागू करने की बात करती है, और दूसरी तरफ इसके विपरीत सरकार पेसा कानून का सरेआम उल्लंघन कर रही है।
भूपेश सरकार का चाल-चरित्र-चेहरा कुछ ही महीनों में उजागर होने लगा है। सरकार द्वारा बिना पंचायत की सहमति से गौण खनिज का टेंडर करा देना ये सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
पूर्व मंत्री ने ग्राम पंचायतों को उनका अधिकार देने की मांग की है। उन्होंने सरकार के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना पंचायतों की अनुमति के कैसे रेत खदान का टेंडर किया जा रहा है? ये पेसा कानून का उल्लंघन है।
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