कोरोना के खिलाफ खूब कारगर टीका, बस 10% को जाना पड़ा अस्पताल, ICU या ऑक्सीजन की नहीं पड़ी जरूरत: ICMR

नई दिल्ली. देशभर में इन दिनों कोरोना की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) लगाने का काम तेज़ी से चल रहा है. वैक्सीन कितनी कारगर है इसको लेकर इन दिनों दुनिया भर में अलग-अलग रिसर्च किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी एक स्टडी की है. इस स्टडी के मुताबिक वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बावजूद कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में से सिर्फ 10 फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई. खास बात ये है कि ऐसे लोगों को ऑक्सिजन और आईसीयू की भी जरूरत नहीं पड़ी. बता दें कि वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद जिन्हें कोरोना संक्रमण होता है उन्हें विज्ञान की भाषा में ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है.
ICMR की इस स्टडी से कहा जा सकता है कि कोरोना की वैक्सीन बेहद असरदार है और किसी की जान बचाने के लिए बेहद जरूरी है. आईसीएमआर के इपिडिमिलॉजी और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘ये बेहद महत्वपूर्ण है, और रोग और मृत्यु दर की गंभीरता को कम करने में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है.’
स्टडी के नतीजे
ICMR के मुताबिक, ये स्टडी पूरे भारत में की गई है. इस दौरान वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले 677 लोगों को ट्रैक किया गया. ये सारे लोग 17 अलग-अलग राज्यों से थे. इसमें सिर्फ 67 (9.8%) लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ी, जबकि सिर्फ 3 लोगों की इसमें से मौत हुई. ज्यादातर ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के थे. डॉक्टर समीरन पांडा के मुताबिक ये डेटा दिखाते हैं कि वैक्सीन लेने से हॉस्पिटल और मौत की दर में कमी आ रही है.
डेल्टा वेरिएंट का हमला
स्टडी में मिले डेटा के मुताबिक 85 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज़ लेने के बाद कोरोना हुआ. जबकि बाकी बचे 592 लोगों को दो डोज़ लेने के बाद कोरोना हुआ. इनमे से 443 केस डेला वेरिएंट के थे. कोरोना से संक्रमित 69 फीसदी लोगों को बुखार हुआ था. जबकि 56 फीसदी लोगों को बदन दर्द के साथ सरदर्द की शिकायत की. 45 फीसदी मरीजों को खांसी की शिकायत हुई. इसके साथ ही 37 फीसदी लोगों को गले में दर्द की की परेशानी हुई.