रायपुर। राज्य बनने के बाद शहरों में धड़ल्ले से प्लांटिग का कार्य हुआ और दलालों ने जमकर चांदी काटी। लेकिन बोरिया खुर्द में हुए प्लांटिंग में कुछ एक खसरा ऐसा है जहां एक प्लाट की रजिस्ट्री एक बार नहीं दो-दो बार हो गई हैं। इस बात की पुष्टि खुद क्षेत्रीय पटवारी ने की हैं।
वहीं यह भी बताया गया है कि जब यह जमीन प्लांटिग हुई थी तब कृषि भूमि थी और अब लोग उसे डायवर्सन करा चुके हैं। उस समय ऑन लाईन की प्रक्रिया नहीं थी। जिसके कारण ऑन रिकार्ड जमीन की रजिस्ट्री दो बार हो गई हैं। अब जो लोग जमीन बेच रहे है और खरीददार प्रमाणि करण के लिए तहसीलदार के समक्ष आवेदन लगा रहे हैं और संबंधित पटवारी को जवाब तलब किया जा रहा हैं।
क्योंकि इस पूरे प्रकरण में पटवारी को पूरी प्रक्रिया करनी होती है और डिजिटल होने से पूरी छानबीन के बाद ही संबंधित अपना कलम चलाते हैं। पटवारी की माने तो खसरा नं 51 में गड़बड़ी है सीमांकन में ही दो लोगों के नाम आते हैं।
ऐसे कई मामले हैं। खसरा नं 51 में जिन लोगों ने जमीन कुछ माह पहले खरीदी हैं। उनके आवेदन भी प्रामाणिकरण के लिए लगा हुआ है। पटवारी के ऊपर खरीदार दबाव बना रहे है कि जब उनकी जमीन अॅानलाईन प्रक्रिया के तहत डिजिटल है तो फिर प्रमाणिकर क्यों नहीं? पटवारी की माने तो खसरा नं 51 में वे पूरी तरह से फंसे हुए हैं।
जमीन में विवाद को देखते हुए पटवारी ने पहले ही पूरी वस्तुस्थिति से तहसीलदार को अवगत करा चुके हैं। अगर अब जमीनों का कही नामंतरण हो जाता है तो इस पूरे मामले में अफसर जांच के घेरे में आ सकते हैं। क्योंकि पटवारी पहले खसरा नं 51 में गड़बड़ी की जानकारी संबंधित तहसीलदार को दे चुके हैं।
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