रायपुर। शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों के आतंक से लोग फिर भयभीत हो रहे हैं। शहर के चौक-चौराहों में कुत्तों का झुंड देर रात कामकाजी लोगों के घर लौटने के समय दौड़ाता है जिसके चलते अनेकों बार दोपहिया वाहन चालक चोटिल होते रहते हैं।
शहर के पुराने इलाकों यथा पुरानी बस्ती मठपारा, टिकरापारा, नेहरू नगर, स्वीपर कालोनी, बजरंग नगर, गुढिय़ारी सहित घने क्षेत्रों में गलियों में दिन एवं रात में कुत्तों के झुंड के चलते आवाजाही प्रभावित हो रही है।
नगर निगम का स्वास्थ विभाग कुत्तों को पकडऩे में रूचि नहीं दिखा रहा है। प्रभावित क्षेत्र के अनेक लोगों ने नगर निगम आयुक्त एवं महापौर से कुत्तों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए डाग केचर वाहन के जरिए कुत्तों को पकडऩे के लिए संबंद्ध जिम्मेदारों को तत्काल आदेश देने की मांग की है।
ज्ञातव्य है कि कुत्तों के काटने से रैबिज नामक बीमारी का शिकार पिछले कुछ वर्षों में मासूम बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक होते रहे हैं। रैबिज फैलने से अनेक लोगों की मौत भी हुई है। इस संबंध में पशु चिकित्सक डॉ. पदम जैन से चर्चा कर कुत्तों के काटने पर सवाल किया।
जिस पर डॉ. जैन ने बताया कि अधिकांश कुत्ते भूखे रहते हैं। उन्हें पर्याप्त रूप से सडक़ों पर घूमने की वजह से खाना नहीं मिल पाता जिसके कारण वे क्रोधित होकर लोगों को काटते हैं।
वहीं उन्होंने मांस मटन खुले में विक्रय करने वाले लोगों के खिलाफ निगम के अधिकारियों से समुचित कार्रवाई करने की मांग की है। डॉ. जैन ने चर्चा के दौरान बताया कि मांसाहारी पदार्थों का सेवन करने की वजह से कुत्ते हिंसक हो जाते हैं।
उन्होंने शहर के आम लोगों से घरों में भोजन के उपरांत बचा खुचा भोजन कुत्तों को खिलाने की अपील की है। इससे जहां एक ओर कुत्तों की भूख मिटेगी वहीं कुत्तों द्वारा आए दिन लोगों काटने की घटनाओं में भी कमी आएगी।
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