22 जुलाई को चंद्रयान-2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद लोगों को जिस दिन का बेसब्री से इंतजार है वो 7 सितंबर है। इस दिन, इसरो वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी परीक्षा होगी, जब चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। इसरो वैज्ञानिक इसे सॉफ्ट लैंडिंग कह रहे हैं।
भारत पहली बार किसी उपग्रह पर अपने किसी यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराने जा रहा है। 22 जुलाई को शुरू हुआ यह सफर अब अपने लक्ष्य के सबसे नजदीक है। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे चंद्रयान-2 ने 46 दिनों में अपना अब तक का सफर तय किया।
22 जुलाई की दोपहर लॉन्च हुए चंद्रयान 2 मिशन के 3 मॉड्यूल्स हैं – ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर। 7 सितंबर को चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर को लेकर विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
पृथ्वी और चांद की दूरी करीब 3.844 लाख किलोमीटर है। उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद 375 करोड़ रुपए का जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट 603 करोड़ रुपए के चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। यहीं से चांद की तरफ चंद्रयान-2 की यात्रा शुरू हो गई थी।
29 जुलाई को दोपहर 2.30 से 3.30 के बीच चंद्रयान-2 की पेरिजी 276 किमी और एपोजी 71,792 किमी की गई थी। 25-26 जुलाई की दरम्यानी रात 1.08 बजे चंद्रयान-2 की पेरिजी 251 किमी और एपोजी 54,829 किमी की गई थी। 24 जुलाई की दोपहर 2.52 बजे चंद्रयान-2 की पेरिजी 230 किमी और एपोजी 45,163 किमी की गई थी।
2 अगस्त को दोपहर 3.27 बजे चंद्रयान-2 की कक्षा में सफलतापूर्वक चौथी बार बदलाव किया गया था। इसकी पेरिजी 277 किमी और एपोजी 89,472 किमी कर दी गई थी। 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के ऑर्बिट को बदला गया था।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद अंतरिक्ष में जाकर चंद्रयान ने 4 अगस्त को पृथ्वी की अदभुत तस्वीर भेजी थी। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 ने ये तस्वीरें LI4 कैमरे से ली थी, जिसमें पृथ्वी नीले रंग की दिख रही है। यूनिवर्सल टाइमिंग के मुताबिक ये तस्वीर 17.32 बजे ली गई थी।
यूनिवर्सल टाइम (UT) समय का वह मानक है, जो पृथ्वी के घूमने की औसत गति को दर्शाता है। यह घड़ियों से नहीं, बल्कि तारों को देखकर मापा जाता है। बता दें कि भारत समन्वित यूनिवर्सल टाइम से 5.30 घंटे मिनट आगे है।
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान ने 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा। इसके बाद 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली ट्रांस लूनर ऑर्बिट में में यात्रा की। 20 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचा। इसके बाद से वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है।
22 जुलाई को लॉन्च के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई थी। लॉन्चिंग के 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 170 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा था।
चंद्रयान -2 ने 21 अगस्त को सफलतापूर्वक चांद की दूसरी कक्षा में प्रवेश कर लिया था जिसके बाद चंद्रयान-2 ने लूनर सतह से लगभग 2650 किमी की ऊंचाई से तस्वीर भेजी थी। इसरो ने चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गई चांद की तस्वीर में ओरिएंटेल बेसिन और अपोलो क्रेटर्स को पहचाना था।
फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ने ऑर्बिटर से अलग होकर चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर दी थी। 7 सिंतबर को विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस दृश्य को देखने पीएम मोदी खुद इसरो के दफ्तर जाएंगे।
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