चांद छूने को तैयार विक्रम लैंडर…35 KM दूर लगा रहा है चक्कर…देखें PHOTOS…

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने आज यानी 4 सितंबर को तड़के 3.42 बजे विक्रम लैंडर को चांद की सबसे नजदीकी कक्षा में डाल दिया। अब विक्रम लैंडर चांद से सिर्फ 35 किमी दूर है।
करीब 45 घंटे बाद विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। अब विक्रम लैंडर चांद के चारों तरफ 35 किमी की एपोजी और 101 किमी की पेरीजी वाली ऑर्बिट में घूम रहा है। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि विक्रम लैंडर की सेहत अच्छी है।
वहीं, ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ 96 किमी की एपोजी और 125 किमी की पेरीजी वाली अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ करीब 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चक्कर लगा रहे हैं।
चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है – पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।
5 और 6 सितंबर तक लगातार होगी विक्रम लैंडर के सेहत की जांच
4 सितंबर को दूसरी बार चांद की कक्षा बदलने यानी चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचने के बाद 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सभी सेंसर्स और पेलोड्स के सेहत की जांच होगी। प्रज्ञान रोवर के सेहत की भी जांच की जाएगी।
7 सितंबर होगा सबसे चुनौतीपूर्ण, चांद पर उतरेगा विक्रम लैंडर
1:30 से 1:40 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) – विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। तब इसकी गति होगी 200 मीटर प्रति सेकंड। यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।
1:55 बजे रात – विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। करीब 6 किमी की ऊंचाई से लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।
3:55 बजे रात – लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा।
5:05 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा। इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा।
5:10 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।
ऑर्बिटरः चांद से 100 किमी ऊपर इसरो का मोबाइल कमांड सेंटर
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। इसमें 8 पेलोड हैं। साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाकर 2015 में ही इसरो को सौंप दिया था।
विक्रम लैंडरः रूस के मना करने पर इसरो ने बनाया स्वदेशी लैंडर
लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसमें 4 पेलोड हैं। यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। इसकी शुरुआती डिजाइन इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद ने बनाया था। बाद में इसे बेंगलुरु के यूआरएससी ने विकसित किया।
प्रज्ञान रोवरः इस रोबोट के कंधे पर पूरा मिशन, 15 मिनट में मिलेगा डाटा
27 किलो के इस रोबोट पर ही पूरे मिशन की जिम्मदारी है। इसमें 2 पेलोड हैं। चांद की सतह पर यह करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा। इस दौरान यह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। फिर चांद से प्राप्त जानकारी को विक्रम लैंडर पर भेजेगा।
लैंडर वहां से ऑर्बिटर को डाटा भेजेगा। फिर ऑर्बिटर उसे इसरो सेंटर पर भेजेगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनट लगेंगे। यानी प्रज्ञान से भेजी गई जानकारी धरती तक आने में 15 मिनट लगेंगे।
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