रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने झीरम घाटी कांड की आठ नए बिंदुओं को शामिल कर जांच कर रहे न्यायिक आयोग की प्रदेश सरकार की भूमिका पर की गई प्रतिकूल टिप्पणी को काफ गंभीर और भयावह बताया है।
कौशिक ने कहा कि इससे यह साफ हो रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शहीदों के सम्मान के प्रति उदासीनता दिखा रहे हैं। जब मुख्यमंत्री बघेल अपने ही दल के दिवंगत नेताओं के प्रति अक्षम्य राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं तो दीगर राजनीतिक दलों के दिवंगत नेताओं के प्रति उनकी संकीर्ण राजनीतिक सोच जगजाहिर होती है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि झीरम कांड की जांच के लिए आठ नए बिंदुओं के परिप्रेक्ष्य में जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय आयोग ने सुनवाई शुरू की लेकिन राज्य सरकार के इस मामले में आयोग के निर्देशों का समुचित तौर पर पालन न करने पर आयोग ने प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और यहां तक कहा कि झीरम मामले की जांच में प्रदेश सरकार आयोग का सहयोग नहीं कर रही है।
कौशिक ने कहा कि आयोग ने इस मामले में 27 जुलाई को जांच में शामिल किए गए आठ बिंदुओं की अधिसूचना का प्रकाशन 16 अगस्त तक चार राष्ट्रीय और छह राज्यस्तर के अखबारों में कराने को कहा था लेकिन प्रदेश सरकार ने सिर्फ दो अखबारों में ही अधिसूचना प्रकाशित कराई।
आयोग ने इसके लिए राज्य सरकार को फटकारा। इतना ही नहीं, सरकार के वकील ने भी माना कि राज्य शासन ने आयोग के आदेश का पालन नहीं किया और अब उसे और समय चाहिए।
आगे कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आयोग के आदेश का पालन नहीं करके यह साफ कर दिया है कि वह इस मामले को जान-बूझकर लटकाने में विश्वास रखती है और अपने ही दिवंगत नेताओं के परिजनों को इंसाफ दिलाने में उसकी कोई रुचि नहीं है।
बघेल मुख्यमंत्री बनने तक झीरम कांड के सबूत जेब में लेकर चलने की बातें करे रहे थे। और अब जब सबूत पेश करने का वक्त आया है तो न केवल उसमें हीलहवाला कर रहे हैं, बल्कि आयोग के आदेशों के पालन में कोताही बरतने का अपराध भी कर रहे हैं।
यह भी देखें :
Add Comment