छत्तीसगढ़यूथ

DMF नियमों में संशोधन प्रभावी…अब शिक्षा और रोजगार के मिलेंगे बेहतर अवसर…

रायपुर। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम-2015 में किया गया संशोधन अब अस्तित्व में आ गया है। खनिज साधन विभाग द्वारा राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही ये संशोधन पूरे राज्य में प्रभावी हो गया है।

अब डीएमएफ से खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों के जीवनस्तर को ऊंचा उठाने और उनके कल्याण के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, कृषि विकास, सिंचाई, रोजगार, पोषाहार, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के विस्तार, खेल व अन्य युवा गतिविधि, वृद्ध और नि:शक्तजन कल्याण, संस्कृति संरक्षण के साथ ही अधोसंरचना विकास के कार्य भी कराए जा सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विगत 3 जुलाई को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम-2015 में संशोधन को मंजूरी दी गई थी। नियमों में संशोधन के बाद अब डीएमएफ राशि से शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन और उन्हें प्रभावी बनाने के काम होंगे।



खनन और खनन संबंधी गतिविधियों से प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के परिवार के सदस्यों को नर्सिंग, चिकित्सा शिक्षा, इंजीनियरिंग, विधि, प्रबंधन, उच्च शिक्षा, व्यवसायिक पाठ्यक्रम, तकनीकी शिक्षा, शासकीय संस्थाओं, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक शुल्क और छात्रावास शुल्क के भुगतान के साथ ही सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग और आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था भी इस मद से की जा सकेगी। प्रभावित क्षेत्रों में दक्ष और योग्य मानव संसाधन जैसे डॉक्टरों, नर्सों और शिक्षकों आदि की आवश्यकता की पूर्ति भी डीएमएफ से की जा सकेगी।

छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम-2015 में संशोधन कर कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के उपाय किए गए हैं। कृषि उत्पादों के संग्रहण, भंडारण एवं प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण, लघु वनोपज प्रसंस्करण, वनौषधि प्रसंस्करण, खेती में उन्नत तकनीकों के प्रयोग, जैविक खेती, पशु नस्ल सुधार और गोठान विकास के कार्य भी अब डीएमएफ से हो सकेंगे। खनन प्रभावित वन अधिकार पट्टाधारकों के जीवनस्तर में सुधार एवं आजीविका संवर्धन के उपाय भी इससे किए जाएंगे।
WP-GROUP

जिला खनिज न्यास निधि से कराए जाने वाले कार्यों की बेहतर निगरानी और उनका समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। ऐसे जिले जहां डीएमएफ की प्राप्ति राशि सालाना 25 करोड़ रूपए या इससे अधिक है, उन जिलों में प्रभावित क्षेत्रों व व्यक्तियों के चिन्हांकन, सर्वेक्षण, कार्यों की निगरानी तथा विजन डॉक्युमेंट तैयार करने न्यास में सूचीबद्ध संस्थाओं के माध्यम से सर्वेक्षण एवं सोशल ऑडिट कराया जाएगा।

क्षेत्र के लिए चिन्हित आवश्यकताओं की पूर्ति और पांच साल का विजन प्लान तैयार करने के लिए नागरिक सामाजिक संगठनों की भी मदद ली जाएगी। जिन जिलों में डीएमएफ की वार्षिक प्राप्ति राशि 25 करोड़ रूपए से कम है, वहां ये कार्य जिले में उपलब्ध संसाधनों और विशेषज्ञों के माध्यम से कराए जाएंगे।



संशोधन के बाद डीएमएफ में प्राप्त राशि का न्यूनतम 50 प्रतिशत प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों पर तथा शेष राशि अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावितों पर खर्च किए जाने का रास्ता खुल गया है। अब शासी परिषद में प्रभावित क्षेत्र के ग्रामसभा के 10 सदस्य होंगे।

इसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया गया है। खनन क्षेत्र के ग्रामसभा के साथ ही नजदीक के ग्रामसभा के सदस्यों के नामांकन को भी प्राथमिकता दी जाएगी। अनुसूचित क्षेत्रों में कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति वर्ग से नामांकित किए जाएंगे।

यह भी देखें : 

छत्तीसगढ़: CM भूपेश बघेल ने की पौनी पसारी योजना की शुरुआत…58 शहरी गरीबों को पसरा का आवंटन…

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/gaganmittal/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471