रायपुर। राज्य के युवाओं को कौशल विकास योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुंचाने और उन्हें रोजगार आधारित कौशल प्रशिक्षण मुहैय्या कराने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कौशल विकास एवं रोजगार विभाग मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना में बड़ा बदलाव करने जा रहा है।
योजना के नये दिशा-निर्देशों के मुताबिक कौशल विकास के लिए युवाओं को उन्हीं व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं (वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स) में भेजा जाएगा, जो उनका नियोजन भी सुनिश्चित करें।
नया नियम लागू होने के बाद पूर्व में पंजीकृत वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स (वी.टी.पी.) का पंजीयन अमान्य हो जाएगा। सभी संस्थाओं को नये सिरे से पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। पंजीयन शुल्क के रूप में संस्थाओं को 10 हजार रूपए (नॉन-रिफन्डेबल) का डिमान्ड ड्रॉफ्ट जमा करना होगा।
शासन की कमेटी द्वारा आवेदित संस्थाओं का पंजीयन के पूर्व निरीक्षण किया जाएगा। शासकीय संस्थाओं को पंजीयन शुल्क में छूट दिया गया है। कौशल विकास संस्थाओं में चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 से पुराने मॉड्यूलर इम्पलॉयेबल स्किल्स पाठ्यक्रम के स्थान पर राष्ट्रीय अर्हता कौशल फ्रेमवर्क आधारित पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे कि बाजार की मांग के अनुरूप युवाओं को आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा सके।
प्रशिक्षण संस्थाओं में सॉफ्ट स्किल ट्रेनर और प्लेसमेंट अधिकारी अनिवार्य
मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने शैक्षणिक योग्यता के साथ ही प्रशिक्षकों का टीओटी (प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण) प्रमाणीकरण अनिवार्य किया गया है। प्रशिक्षण केन्द्रों में सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर और प्लेसमेंट अधिकारी की नियुक्ति को भी अनिवार्य किया गया है।
इससे युवाओं में व्यावसायिक कौशल के साथ-साथ कार्यस्थल में जरूरी मानवीय गुणों व व्यावहारिक कौशल का भी विकास हो सकेगा। प्लेसमेंट अधिकारी बाजार में उपलब्ध कौशल की मांग का समय-समय पर सर्वेक्षण कर प्रशिक्षित युवाओं को नियोजित करने का कार्य करेंगे।
प्रशिक्षुओं और प्रशिक्षकों में प्रशिक्षण के प्रति गंभीरता एवं जवाबदेही लाने आधार आधारित बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से प्रशिक्षण केन्द्रों में उनकी उपस्थिति पर नजर रखी जाएगी। इससे कौशल विकास केन्द्रों में होने वाली अनियमितताओं को भी रोका जा सकेगा।
राज्य कार्यालय द्वारा प्रशिक्षण की रिमोट मॉनिटरिंग के लिए सभी केन्द्रों में आई.पी. आधारित सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य किया गया है। कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए आने वाले युवाओं की रूचि और योग्यता का आंकलन करने के लिए प्रशिक्षण के पहले उनका वन-टू-वन काउंसलिंग भी किया जाएगा।
योजना के नये दिशा-निर्देशों में वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स द्वारा प्रशिक्षण के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही एवं अनियमितता के लिए 50 हजार रूपए तक के अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा प्रशिक्षण के मूल्यांकन में अनियमितता करने पर उन पर भी 50 हजार रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान है।
इसके लिए वीटीपी और मूल्यांकन एजेंसियों से 50-50 हजार रूपए की बैंक गारंटी अनिवार्य की गई है। जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण कार्यों का कम से कम दो बार निरीक्षण अनिवार्यत: किया जाएगा।
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