
बीजापुर। भले ही दुनिया कंप्यूटर युग में दाखिल हो गई है लेकिन बीजापुर से महज पंद्रह किमी के दायरे में ऐसे भी गांव हैं जहां मरीज को इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए चारपाई ही एक जरिया है। गंगालूर रोड पर पोंजेर नाले के पार बसे गांव काकेकोरमा भी इसी चारपाई युग में जी रहा है। सीआरपीएफ की बटालियन की टीम जब एंटी नक्सल ऑपरेशन से लौट रही थी, तो पोंजेर नाले के पास काली पहाड़ी व काकेकोरमा की ओर से दो महिलाओं को एक युवा को बीमार अवस्था में चारपाई पर डालकर लाते देखा।
इस हालत में मरीज को देख बटालियन के सीईओ सुधीर कुमार एवं द्वितीय कमान अधिकारी विनोद रावत द्रवित हो गए। उन्होंने महिलाओं को रोका और तुरंत पामलवाया कैम्प व चेरपाल कैम्प से वाहन भेजने के लिए सूचना भेजी। कमाण्डेंट सुधीर कुमार ने इसके अलावा अपने हेडक्वार्टर में एंबुलेंस के लिए भी खबर की। मरीज मासा कोरसा के साथ तीन महिलाएं थीं, जो उसे बीजापुर लेकर जा रही थीं। इन महिलाओं के पास धनराशि भी नहीं थी।
कमाण्डेंट ने इन महिलाओं को कुछ राशि दी। इस बीच दोनों कैम्पों से वाहनें आ गईं लेकिन इस बीच हेडक्वार्टर से एंबुलेंस भी आ गई। मरीज को तत्काल जिला हॉस्पिटल भेजा गया। वहां मरीज का इलाज चल रहा है। जिला हॉस्पिटल में पदस्थ एक चिकित्सक ने बताया कि अब तक बीमारी का पता नहीं चल पाया है। मरीज खा-पी नहीं रहा है। उसे बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।