नई दिल्ली। कांग्रेस का नया अंतरिम अध्यक्ष चुनने के लिए दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस की टॉप लीडरशिप शिरकत कर रही है। राहुल के इस्तीफे के बाद पार्टी का नया अध्यक्ष चुनना कांग्रेस के बड़ी चुनौती है।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस मध्य आयु वर्ग के किसी ऐसे शख्स को चुनना चाहती है जिसे संगठन चलाने का अनुभव हो। इस लिहाज से मुकुल वासनिक अंतरिम अध्यक्ष की रेस में अपने प्रतिद्वन्दियों सुशील शिंदे और मल्लिकार्जुन खडग़े से आगे निकल जाते हैं। मुकुल वासनिक सबसे लंबे समय तक लगातार कांग्रेस महासचिव रहे हैं।
इसके अलावा मुकुल वासनिक राजीव गांधी फाउंडेशन के भी सदस्य रहे हैं, इससे साफ होता है कि वह गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं।दूसरी ओर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नए अध्यक्ष का फैसला इतना आसान नहीं होगा। पार्टी के युवा तुर्कों और वरिष्ठ नेताओं में टकराव बढऩे से चुनाव प्रक्रिया कठिन होने वाली है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं ने नए अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी की पसंद का समर्थन करने का फैसला किया है। जबकि गुलाम नबी आजाद, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल जैसे नेता किसी अनुभवी चेहरे पर दांव लगाने के पक्ष में हैं।
सूत्रों के अनुसार फिलहाल राहुल गांधी की पसंद संगठन सचिव केसी वेणुगोपाल हैं। उनके नाम पर सहमति न होने पर वे कुमारी सैलजा का नाम आगे कर सकते हैं। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वेणुगोपाल के सामने लोकप्रियता का संकट है।
बाहर तो दूर वे गृह राज्य केरल में ही लोकप्रिय नहीं हैं। केरल में उनसे अधिक लोकप्रिय एके एंटनी, रमेश चेन्नीथला, ओमन चंडी और शशि थरूर हैं।वरिष्ठ नेताओं की पसंद मुकुल वासनिक या मल्लिकार्जुन खरगे हैं। केरल के ताकतवर नायर समुदाय से आने वाले वेणुगोपाल को छोड़कर अन्य तीनों उम्मीदवार दलित समुदाय के हैं।
माना जा रहा है कि 59 वर्षीय वासनिक पर दोनों खेमे सहमत हो सकते हैं।साझे उम्मीदवार पर सहमति न बनने पर कांग्रेस को 1967 की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। तब इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले युवाओं ने के. कामराज, मोरारजी देसाई और नीलम संजीव रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर अलग पार्टी बना ली थी।
एक हफ्ते से मोर्चाबंदी तेज
एक सप्ताह से दोनों खेमों में मोर्चेबंदी तेज हो गई है। बुधवार को मुंबई में मिलिंद देवड़ा के निवास पर बैठक हुई। दो दिन वार्ताओं का दौर चला। देशभर से प्रदेश अध्यक्ष और राज्यों के प्रभारी दिल्ली पहुंच चुके हैं। वहीं, वरिष्ठ नेता भी अपनी रणनीति को धार देने के लिये रात-रात भर बैठकों में व्यस्त हैं।
370 पर बंटी पार्टी
अनुच्छेद 370 पर पार्टी वैचारिक आधार पर बंटी हुई है। मिलिंद देवड़ा, जनार्दन द्विवेदी, जितिन प्रसाद, दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेताओं ने इस मामले में पार्टी के रुख की कड़ी आलोचना की है। बुधवार को 370 पर बुलाई कार्यसमिति की बैठक में जितिन और आरपीएन सिंह ने पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाए। जितिन ने कहा कि यूपी के कार्यकर्ता 370 हटाने के पक्ष में हैं। इस पर पी चिदंबरम ने कहा, उत्तर प्रदेश का अर्थ पूरा देश नहीं है।
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