नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी। खबर है कि समिति के अंदर और बाहर पक्षकारों के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखा। अब चीफ जस्टिस सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ समिति की रिपोर्ट पर शुक्रवार दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगी।
मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा की मुख्य मामले की सुनवाई कब से की जाए। यानी अब सब कुछ रिपोर्ट और कोर्ट की संतुष्टि पर निर्भर है।रिपोर्ट ठोस दलीलों के साथ अगर कुछ सुझाव और उस पर अमल की रूपरेखा भी सुझाती है तो शायद कोर्ट उसे भी मान ले और मोहलत मिल जाए। या फिर कोर्ट रिपोर्ट के तथ्यों पर गौर करते हुए सीधे सुनवाई पर तैयार हो जाएगा।
अगर ये विकल्प आता है तो अगली तारीख लगेगी और उस दिन सुनवाई की रूपरेखा बनेगी। यानी इस मामले के लिए रोजाना सुनवाई की परिभाषा तय होगी।सप्ताह में कितने कार्य दिवस होगी सुनवाई? तीन, चार या पांच. कितने पक्षकारों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा? तीन मुख्य या सभी मूल याचिकाकर्ता या फिर दर्जन के भाव में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर करने वालों को भी।
सबको कितना-कितना वक्त दलीलें देने को मिलेगा। ये सभी बातें आज की सुनवाई में तय हो जाएंगी।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को मध्यस्थता समिति को हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सहमति बनाने के लिए 31 जुलाई तक बातचीत जारी रखने का आदेश दिया था।
1 अगस्त यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौंपने से पहले दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश सदन में मध्यस्थता कमेटी की बैठक हुई, जिसमें बात बनती नजर नहीं आई। अयोध्या भूमि विवाद को आपसी रजामंदी से हल करने को लेकर कमेटी की यह आखिरी कोशिश थी।
विवाद सुलझाने की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को बड़ा कदम उठाते हुए विवादित भूमि के सभी पक्षों से बात करने के लिए तीन सदस्यों वाली मध्यस्थता कमेटी का गठन कर इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की थी।
इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएमआई खलीफुल्ला हैं। दो अन्य सदस्य आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू हैं।
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