हाईकोर्ट में लंबित है मामला, मो. अकबर और राकेश चौबे ने लगाई है तीन याचिका
रायपुर। छत्तीसगढ़ में दस ज्यादा संसदीय सचिव है, जिन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएं मिल रही है। लाभ के पद का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस के मो. अकबर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अभी यह मामला विचाराधीन है। दिल्ली में चुनाव आयोग के वहां के संसदीय सचिवों के संबंध में बैठक के बाद कॉपी राष्ट्रपति को भेजी गई है। ऐसी आशंका है कि संसदीय सचिवों की कुर्सी जा सकती है। दिल्ली में मामला गरम होने के बाद छत्तीसगढ़ में सियासत में उबाल आ गया है। संसदीय सचिव मामले में मो. अकबर का कहना है कि उन्होंने विधिवत इस मामले में राज्यपाल से इन नियुक्तियों को अवैध बताते हुए रद्द करने और विधायकी खत्म करने का आवेदन दिया था। राज्यपाल ने जब 15 दिन तक कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने चुनाव आयोग को लिखा। चुनाव आयोग ने इसका जवाब दिया है, जिसे वो तब सार्वजनिक करेंगे जब चुनाव आयोग का दिल्ली के मामले में रुख सामने आएगा। उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक राज्यपाल को इस मामले को चुनाव आयोग को भेजना था, लेकिन जब राज्यपाल ने सुनवाई नहीं की तो वे हाईकोर्ट गए। जहां सुनवाई अंतिम दौर में है। अकबर ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में फैसला आएगा। संसदीय सचिवों के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं लगाई गई है। दो याचिका पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर की ओर से लगाई गई है वहीं एक याचिका आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने दायर की है। अपनी याचिकाओं में मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी है।
छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव अंबेश जांगड़े, लाभचंद बाफना, लखन लाल देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति सत्यानंद राठिया, तोखन लाल साहू, चंपा देवी पावले, गोवर्धन सिंह मांझी, राजू सिंह क्षत्रिय।
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