रायपुर। जमीनों की गाइडलाइन दर में आज से 30 प्रतिशत कम कर दी गई है। इससे एक वर्ग खुश हैं तो वहीं बड़े भूस्वामी और खासकर कृषक वर्ग इससे नाखुश नजर आ रहे हैं।
दूसरी ओर शहर के पंजीयन कार्यालय में सर्वर डाउन की समस्या अब तक सुलझ नहीं पाई है। सर्वर डाउन होने के चलते पिछले तीन दिनों से पक्षकार रजिस्ट्री कराने के लिए भटक रहे हैं।
राज्य सरकार ने जमीनों की गाइड लाइन दरें कम करने का निर्णय लिया था, यह अब लागू भी हो गया है, लेकिन जमीनों की खरीदी-बिक्री में रजिस्ट्री का काम अब भी पिछड़ा हुआ है। जिला पंजीयन कार्यालय का सर्वर डाउन रहने के कारण पिछले तीन दिनों से रजिस्ट्री की रफ्तार धीमी हो गई है।
इसका असर यह हो रहा है कि स्टांप शुल्क और अन्य औपचारिकता पूरी कर रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे लोगों को तीन से चार दिनों तक सर्वर सुधरने का इंतजार करना पड़ रहा है।
यह दिक्कत पिछले कई महीनों से यथावत बनी हुई है, इसे दूर करने के लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है, इससे जमीनों और मकानों की रजिस्ट्री कराने आने वाले लोगों को भारी मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है।
दूसरी ओर गाइडलाइन की दरें कम होने को लेकर आम नागरिकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। एक वर्ग जमीनों की गाइड लाइन दरें कम होने से खुशी जता रहे हैं तो वहीं बड़े भूस्वामी और खासकर कृषक वर्ग इससे नाखुश भी नजर आ रहे हैं।
बड़े कृषक वर्ग और बड़े भूखंडधारियों का कहना है कि गाइड लाइन की दरें कम होने से उनकी जमीनों का रेट भी कम हो गया है। अब भविष्य में यदि उनकी जमीनें यदि शासकीय कार्य के लिए अधिग्रहित होती है तो उन्हें अपनी जमीनों का मुआवजा काफी कम मिलेगा, वहीं स्टांप शुल्क की दरों में आए परिवर्तन का घाटा भी भूखंडधारियों को उठाना पड़ेगा।
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