रायपुर। प्रदेश में बारिश नहीं होने से किसानों के साथ आम लोग भी परेशान हैं। लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं लेनिक प्रदेश में झमाझम बारिश के लिए अभी जरूरी सिस्टम तैयार नहीं हो रहा है। हालांकि मानसूनी हवाएं सक्रिय हैं, लेकिन बारिश के लिए जरूरी चक्रवाती सिस्टम अथवा कम दबाव का क्षेत्र फिलहाल प्रदेश के निकट नहीं बन पा रहा है।
मौसम विभाग के नियमित रिपोर्ट की माने तो इस समय एक मानसूनी द्रोणिका जो कि पहलोदी, टोंक, ग्वालियर, बंडा, मिर्जापुर, पटना, पुरौना होते हुए बंगाल की खाड़ी की पूर्वी किनारे को पार करते हुए नागालैण्ड तक जा रही है।
इसके अलावा एक चक्रवाती घेरा बना हुआ है जो कि उत्तरी मध्यप्रदेश इसके आसपास के इलाकों के ऊपरी हवा में करीब 5.8 किमी की ऊंचाई पर सक्रिय है तथा यह सिस्टम दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ रही है।
इधर मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश में झमाझम बारिश के लिए जरूरी सिस्टम तैयार नहीं होने से इस समय प्रदेश में रूक-रूककर बारिश हो रही है। यह स्थानीय सिस्टम और वातावरण में व्याप्त नमी के असर से हो रहा है। हालांकि मानसूनी हवाएं सक्रिय हैं, लेकिन बारिश के लिए जरूरी चक्रवाती सिस्टम अथवा कम दबाव का क्षेत्र फिलहाल प्रदेश के निकट नहीं बन पा रहा है।
वहीं बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफान भी इस समय ज्यादा नहीं बन पा रहा है, जिसके चलते प्रदेश के मैदानी इलाकों में इस समय बारिश का ग्राफ औसत तक भी नहीं पहुंच पाया है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार कल से मौसम में थोड़ा परिवर्तन दिख सकता है। इस दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान में ज्यादा फर्क नहीं आएगा। ज्ञात हो कि इस समय राज्य के 18 जिलों में औसत से भी कम बारिश रिकार्ड किया गया है, वहीं राज्य के केवल एक जिले में औसत से अधिक बारिश रिकार्ड किया गया है।
यह आंकड़ा निश्चित रूप से चिंता में डालने वाला है। जबकि जुलाई माह में औसत बारिश का ग्राफ सबसे अधिक होता है और अगस्त माह में बारिश के आंकड़ों में परिवर्तन आता है।
जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश ही कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की बेरूखी से जहां आम आदमी बेहाल है तो वहीं कृषक वर्ग भी चिंता में डूबा हुआ है।
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