रायपुर। राज्य भर में मानसून पर लगे विराम से खेती-किसानी का काम बुरी तरह से पिछड़ गया है। राज्य के अधिकांश इलाकों में अब तक धान का रोपा नहीं लग पाया है। रोपा के लिए जरूरी बारिश अब तक नहीं हो पाई है। बारिश नहीं होने से अब किसानों को अकाल की आशंका सता रही है।
अब तो धान की नर्सरी भी खराब हो रही है। ऐसी ही स्थिति रही और तीन-चार दिन में बारिश नहीं हुई तो नर्सरी पूरी तरह से खराब हो जाएगी। किसानों के पास अब फिर से नर्सरी लगाने का समय भी नहीं है।
दक्षिण पश्चिम मानसून इस बार दगा देता नजर आ रहा है। मानसून पर लगे बे्रक से जहां आम आदमी बेहाल है तो वहीं कृषक वर्ग भी बारिश न होने से बेहाल हो उठा है। राज्य के अधिकांश इलाकों में खेती-किसानी की तैयारी पूरी हो चुकी थी। धान की फसल लेने के लिए कृषकों ने जोरदार तैयारी कर रखी थी। लेकिन मानसून पर लगे बे्रक ने उनकी सारी तैयारियों को बर्बाद कर दिया है।
वर्तमान में राज्य के कई जिलों में बारिश का औसत आंकड़ा भी पूरा नहीं हो सका है, वहीं अधिकांश जिले अभी तक अल्पवर्षा की मार झेल रहे हैं। जिन इलाकों में अच्छी बारिश हुई थी, वहां के कृषकों ने खेतों को धान की फसल के लिए तैयार कर लिया था।
यहां तक की धान की नर्सरी भी तैयार कर ली गई थी और रोपा लगाने के लिए अच्छी बारिश का इंतजार किया जा रहा था। लेकिन मानसून ने दगा दे दिया और पिछले एक सप्ताह से राज्य के अधिकांश इलाकों में बारिश नहीं हुई है। तेज धूप के चलते अब धान की नर्सरी भी मरने लगे हैं।
दूसरी ओर उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में बारिश का आलम यह है कि दोनों राज्यों के अधिकांश इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में एक तरह से सूखा पड़ा हुआ है।
राज्य के 19 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है, केवल धमतरी, गरियाबंद, कोण्डागांव, नारायणपुर और सुकमा में औसत से अब तक अधिका बारिश रिकार्ड की गई है। राज्य के शेष इलाकों में हालात और ज्यादा खराब है।
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