आईसीसी वर्ल्ड कप-2019 का फाइनल मुकाबला रविवार को इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच लॉर्ड्स में खेला जाएगा। इससे पहले इंग्लैंड की टीम 1992 में वर्ल्ड कप का फाइनल खेली थी। इस मुकाबले में उसे पाकिस्तान से हार का सामना करना पड़ा था। मेलबर्न में 25 मार्च 1992 को खेले गए इस मैच में पाकिस्तान ने 22 रनों से जीत दर्ज की थी।
क्रिकेट का जनक कहे जाना वाला इंग्लैंड 327 महीने, 1424 हफ्ते। 9,969 दिन, 239,256 घंटे, 14,355,360 मिनट और 861,321,600 सेकंड बाद 11 जुलाई को दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई।
इस बार उसका सामना न्यूजीलैंड से होना है। क्रिकेट को पहचान देना वाला ये देश कभी वर्ल्ड चैम्पियन नहीं बन पाया है। ऐसे में न्यूजीलैंड के खिलाफ इंग्लिश प्लेयर पूरे दमखम के साथ उतरेंगे।
आक्रामकता इंग्लैंड की खासियत
पहली बार चैंपियन बनने से एक कदम दूर खड़ी इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कप्तान इयोन मॉर्गन का मानना है कि आक्रामकता इस टीम की खास विशेषता है और न्यूजीलैंड के साथ होने वाले फाइनल में भी इसे कायम रखना चाहेगी। मॉर्गन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह हमें अधिक सकारात्मक और आक्रामक बनाने में मदद करती है। यह हमें थोड़ा स्मार्ट बनाती है कि हमें कैसे खेलना है।’
वर्ल्ड कप है, कुछ भी हो सकता है
घर में फाइनल खेलने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह आरामदायक है और घर में होना शानदार है। मैं फाइनल को लेकर उत्साहित हूं। हम इसका आनंद लेना चाहते हैं।
यह वर्ल्ड कप फाइनल है और इसमें कुछ भी हो सकता है।’ कप्तान ने कहा, ‘इस ड्रेसिंग रूम में होना मेरे लिए और हर किसी के लिए एक बड़ी बात है। यह 4 साल की कड़ी मेहनत, समर्पण, बहुत सारी योजनाओं का परिणाम है।’
लॉर्ड्स में लो स्कोरिंग मैच के आसार
मॉर्गन ने न्यूजीलैंड की भी तारीफ की, जिसने कई मैचों में 300 से नीचे के स्कोर का सफलतापूर्वक बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि न्यूजीलैंड ने शानदार काम किया है। लॉर्ड्स हाई स्कोरिंग वाला मैदान नहीं है, इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि फाइनल भी हाई स्कोरिंग मैच नहीं होने वाला है। यह थोड़ा लड़ने वाला होगा।’
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