रायपुर। वर्ष 2006 में सलवा जुडूम अभियान के दौरान चरम वामपंथियों के उत्पात से जगरगुंडा की सभी आधारभूत संरचनाएं तहस-नहस हो चुकी थी। 13 वर्षों तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित जगरगुंडा के जनजातियों के कुछ कर गुजरने का अदम्य साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति अब अपने विकास की नई इबारत लिखने जा रहा है।
नक्सल पीडि़त लोगों की भावनाओं तथा उनके विकास के प्रति दृढ़ संकल्प को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार का साथ मिला। सरकार और क्षेत्र के जनजातियों के विकास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना शुरू किया और स्थानीय जिला प्रशासन की मदद से 6 महीने के अल्प कार्यकाल में बुनियादी सुविधाओं की बहाली हुई।
स्थानीय निवासियों की मांग पर 6 माह पहले भूपेश बघेल सरकार की पहल और सुकमा जिला प्रशासन के प्रयासों से गत 13 वर्षों से बंद पड़े जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया गया, जो छह माह के अल्प समय में सभी 6 शैक्षणिक संस्थाओं की मरम्मत और नवीनीकरण का कार्य पूर्ण किया गया।
आज स्कूलों, छात्रावासों के शुरू हो जाने से खंडहर पड़े इन शाला परिसर में बच्चों की चहल-पहल से रौनक आ गई है। पालक नए सपने संजोए अपने बच्चों को इस आशा विश्वास और उम्मीदों के साथ स्कूल भेज रहे हैं ताकि वे भविष्य में अपने पैरों पर खड़े हो सके और देश का एक आदर्श नागरिक बन सके।
गत 24 जून को उद्योगमंत्री कवासी लखमा द्वारा इन शैक्षणिक संस्थानों की पुन: शुरूआत की गई। बहुत ही उत्साहपूर्ण माहौल में बच्चों ने पालकों की उपस्थिति में शाला प्रवेश किया। अति चरम वामपंथ प्रभावित यह क्षेत्र अब शिक्षा के साथ विकास की मुख्य धारा से जुडऩे जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयत्नों से अब यह क्षेत्र चहुंमुंखी विकास की ओर अपना कदम बढ़ा चुका है। जगरगुंडा जैसे इलाके में शिक्षा की सुविधा का विस्तार क्षेत्र के बच्चों के भविष्य को गढऩे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।जगरगुंडा में सलवा जुडूम अभियान के दौरान स्कूलों एवं अन्य शासकीय भवनों को नक्सलियों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। इसका मुख्य कारण इन भवनों में सुरक्षा बलों की तैनाती रहना था। इलाकें में मिडिल और हाईस्कूल की कमी के कारण बच्चे 2006 से समीप के पोटाकेबिन और आश्रम शाला में अध्ययन करते रहे। अब शासन के द्वारा स्थापित इन शैक्षणिक संस्थाओं में इलाके के विद्यार्थी अध्ययन करेंगे।
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