रायपुर। राज्य सरकार ने नई स्थानांतरण नीति तय कर दी है। स्थानांतरण 15 जुलाई से 15 अगस्त तक होंगे। तबादले से व्यथित कर्मचारी द्वारा अपने स्थानांतरण के विरुद्ध प्रमाणों के साथ 15 दिन के भीतर शासन स्तर पर गठित वरिष्ठ सचिव समिति के संयोजक एवं सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। समिति इसकी जांच के बाद ऐसे आवेदनों पर अपनी अनुशंसा संबंधित विभागों को भेजेगी।
विभाग का यह दायित्व होगा कि समन्वय में विधिवत अनुमोदन के बाद यथोचित आदेश पारित करें। नई नीति के अनुसार जिला स्तर और राज्य स्तर पर स्थानांतरण के संबंध में प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
जिला स्तर पर स्थानांतरण आदेश का पालन 30 जुलाई तक करना होगा। इसके लिए 15 से 25 जून तक आवेदन प्राप्त किए जाएंगे। ऐसे शासकीय सेवक जो एक स्थान पर एक वर्ष या उससे अधिक समय से पदस्थ हों, केवल उन्हीं के स्थानांतरण किए जा सकेंगे। प्रत्येक स्तर के तबादले विभागीय मंत्री के अनुमोदन से ही किए जा सकेंगे।
विभागीय मंत्री से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए स्थानांतरण प्रस्ताव विभागाध्यक्ष द्वारा मंत्री के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए जाएंगे। प्रस्ताव विभाग की सचिवालयीन प्रक्रिया के अनुसार अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के माध्यम से ही विभागीय मंत्री को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे।
अनुमोदन के बाद आदेश विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे। इसके अंतर्गत तृतीय श्रेणी (गैर-कार्यपालिक) तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर द्वारा किए जा सकेंगे।
स्थानांतरण के लिए आवेदन 15 जून से 25 जुलाई तक संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्यालयों में प्राप्त किए जाएंगे। स्थानांतरण प्रस्ताव संबंधित विभागों के जिला अधिकारी द्वारा तैयार किए जाएंगे और कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री को प्रस्तुत किए जाएंगे।
तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के मामले में उनके संवर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मामलों में अधिकतम पांच प्रतिशत तक स्थानांतरण किए जा सकेंगे। परस्पर सहमति से स्वयं के व्यय पर किए गए तबादलों की गणना इस सीमा के लिए नहीं की जाएगी।
शहरों और गांवों में संतुलन रखा जाएगा
विभागों का दायित्व होगा कि आदिवासी इलाकों के कर्मचारियों का गैर अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानांतरण चाहते हैं तो उसके एवजीदार का भी प्रस्ताव (जो गैर आदिवासी क्षेत्र से हो) अनिवार्य रूप से रखा जाएगा। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्तियों का असंतुलन दूर करने का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
अनुसूचित क्षेत्र के कर्मचारी का गैर अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरण होने पर उसके एवजीदार के आने के बाद ही उसे कार्यमुक्त किया जाएगा। यह भी तय किया गया कि अनुसूचित क्षेत्रों के रिक्त पद भरे जाएं। स्वेच्छा से, स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण प्रशासकीय दृष्टि से भी उचित होने चाहिए।
यदि किसी कर्मचारी की पत्नी अथवा पति द्वारा एक ही स्थान पर पदस्थापना के लिए आवेदन करेंगे तो यथा संभव उन्हें एक ही स्थान पर पदस्थापना देने का प्रयास किया जाएगा। उसे ऐसी पदस्थापना पाने का अधिकार प्राप्त नहीं होगा, लेकिन उसकी प्रार्थना पर विभाग द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य स्तर पर प्रथम और द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के मामले में उनके संवर्ग में कार्यरत अधिकारियों की कुल संख्या के अधिकतम 15 प्रतिशत, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के मामले में अधिकतम 10 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अधिकतम 5 प्रतिशत तबादले किए जा सकेंगे।
संशोधन करना कठिन होगा
किसी भी प्रकार के स्थानांतरण आदेश यदि निरस्त या संशोधित किए जाने हो तो ऐसे आदेश का प्रस्ताव समन्वय में प्रस्तुत किया जाएगा। अनुमोदन के बाद ही निरस्त अथवा संशोधित किया जा सकेगा।
जिला स्तर तथा विभाग स्तर से तबादलों पर 15 अगस्त 2019 के बाद से पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा, लेकिन अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में प्रतिबंध अवधि में समन्वय में अनुमोदन के बाद ही स्थानांतरण किए जा सकेंगे।
यह भी देखें :
Add Comment