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लेख : आईने में भारत, 7 दशक की समय रेखा…

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आइने की चमक की तरह देश मेरा चमक रहा है,

अरे आबादी बढ़ी तो क्या हुआ,

देश मेरा बढ़ रहा है।

क्या खूब कहा था स्वामी विवेकानंद जी ने
कि किसी भी देश की तरक्की का अनुमान
वहां के बच्चे और नारियों को देख कर लगाया जा सकता है,
और आज मुझे 75 साल के भारत को आइने में दिखाना है
तो मै बड़े गर्व से कह सकता हूं,
कि शिक्षा के स्तर पर आज मेरा देश 12 प्रतिशत
से बढ़ कर लगभग 81 हो चुका है,
और साथ ही साथ देश को मजबूत करती हुई
महिला साक्षरता दर लगभग 65 प्रतिशत पहुंच गया है।

लेकिन मसला यह है
कि आज़ादी तो पूरी है पर कसर अभी अधूरी है,
महिलाओं ने तो अत्याचार सहे, क्या बाल मजदूरी जरूरी है?

और मुझे ये बताते हुए दुःख होता है
कि आज भी हमारे देश में लगभग 50 प्रतिसत महिला अत्याचार से पीड़ित हैं
और लगभग 60 प्रतिशत बच्चे बाल मजदूरी के सिकार हैं।

लेकिन इन 70 सालो में हमारी बदलती राजनीति में
कई उतार चढ़ाव आए,
कई प्रयासों के बाद कुछ प्रमुख बदलाव हुए।
जिनमें से डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट ने अहम भूमिका निभाई,

और आज डिजिटल इंडिया की बात की जाए तो
इस योजना ने रोजगार के क्षेत्र में एक अलग सेक्टर स्थापित कर लिया है ।
जिसमें से लाखों युवाओं को यूट्यूब और डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त हुए।

मैं एक महत्वूर्ण कथन कहना चाहता हूं
कृष्ण ने कहा था ये कि धर्म तो कर्मों से है,
फिर क्यों कर्म खराब करते हो,
अरे धर्म धर्म की बात करते हो और धर्म को बदनाम करते हो..

कभी राम मंदिर तो कभी बाबरी के नाम पे
अहिंसा का कत्ल किया,
मगर हम क्यों नहीं समझते ?
आखिर हम तो हिन्दू के हा और मुसलमान के मा से बनते हैं,
तो हम सब क्यों लड़ते हैं ?

आखिर हम सबसे मिल कर एक प्यारा हिंदुस्तान बनता है।

और एक महान पुरुष ने कहा था
भारत कोई भुमि का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है,
इसकी नदी-नदी हमारे लिए गंगा है,
इसका कंकड़-कंकड़ शंकर है,
हम जियेंगे तो इसके लिये,
मरेंगे तो इसके लिये।

और मरने के बाद भी अगर गंगा जल में
हमारी बहती हुई आस्तियों को कोई कान लगा के सुनेगा,
तो एक ही आवाज आएगी भारत माता की जय।

आज हमारा देश पिछले 75 वर्षों में कहां से कहां पहुंच गया है,
और मुझे यकीन है कि जो सपने को
देखते हुए हमारे वीर सैनिकों ने अपने ज़िन्दगी, अपने प्राण,
अपने भारत मां के लिए कुर्बान किए,
वो सपना जरूर पूरा होगा और मुझे यकीन है कि एक दिन हमारा देश फिर से सोने की चिड़ियां कहलाएगा।

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लेखक : आदित्य दुबे
छात्र – शंकराचार्य ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन
भिलाई, छत्तीसगढ़

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