
भिलाई। निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ भिलाई के सुपेला थाने में एक और एफआईआर दर्ज किया गया है। मुकेश गुप्ता पर धोखाधड़ी समेत कई धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है।नागरिक आपूर्ति निगम के कथित घोटाला मामले में फोन टैपिंग के आरोप में निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
मुकेश गुप्ता पर ईओडब्ल्यू की जांच पहले से ही चल रही है। अब दुर्ग जिले के सुपेला थाना में मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। माणिक मेहता की शिकायत के बाद मुकेश गुप्ता पर सुपेला थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है।
पुलिस के मुताबिक माणिक मेहता ने शिकायत की है कि मुकेश गुप्ता वर्ष 1998 के जून माह में दुर्ग में पुलिस अधीक्षक थे। इस दौरान वे भिलाई साडा में पदेन सदस्य भी थे। उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए मोतीलाल नेहरू आवासीय योजना ( पश्चिम ) में ब्लॉक क्रमांक 67, भूखंड क्रमांक 5 कुल 540 वर्ग मीटर का आवंटन अपने नाम से प्राप्त कर लिया था।
माणिक मेहता ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि मुकेश गुप्ता ने 9 जून 1998 को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 2928 वर्ग फुट के आबंटित भूखण्ड के स्थान पर, उससे लगभग दोगुने भूखण्ड ( 5810.40 वर्ग फुट ) की 11 जून 1998 को रजिस्ट्री अपने नाम से करवा ली थी।
जबकि चेक की राशि 13 जून 1998 को जमा हुई थी। यानी कि बिना पैसे दिए ही मुकेश गुप्ता ने विघटित हो चुके साडा से अपने नाम उक्त जमीन करवा ली थी।माणिक मेहता की शिकायत के अनुसार जमीन को खरीदने के पश्चात मुकेश गुप्ता ने पुलिस विभाग को किसी तरह की कोई सूचना नहीं दी और बगैर अनुमति के उस जमीन पर बेशकीमती इमारत भी बनवा ली।
जब इस मामले की चर्चा होने लगी तब मुकेश गुप्ता ने इस मकान को 42 लाख रुपये में बेच दिया और दिल्ली में एक करोड़ 5 लाख रुपए से एक दूसरा मकान खरीद लिया।
कौन हैं माणिक मेहता
सुपेला थाने में शिकायतकर्ता माणिक मेहता मिक्की मेहता के भाई हैं। मिक्की मेहता ने मुकेश गुप्ता की पत्नी होने का दावा किया था। मिक्की मेहता के परिजनों ने कहा था कि मुकेश गुप्ता शादीशुदा होने के बाद भी मिक्की मेहता से शादी की थी। इसके बाद मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत हो गई। इस संदिग्ध मामले की जांच भी चल रही है।
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