रायपुर। पश्चिम बंगाल मेें एनआरएस मेडिकल कॉलेज में डॉ. द्वारा चिकित्सा के दौरान वृद्ध की मौत के उपरांत मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर पर प्राणघातक हमला किए जाने के विरोध में जूडो (जूनियर डॉक्टर्स एसोसियेशन मेकाहारा) ने आज दूसरे दिन भी ओपीडी में मरीजों का इलाज बंदकर धरना दिया।
इस वजह से मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा।जूडो पदाधिकारियों के अनुसार जब तक राज्य एवं केन्द्र की सरकार चिकित्सकों को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया नहीं कराएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। देश में चिकित्सकों पर आए दिन हमले हो रहे हैं।
जूडो सदस्यों के अनुसार वे भरसक प्रयास करते हैं कि किसी भी मरीज की मौत न हो। लेकिन मरीज की मृत्यु को रोक पाना चिकित्सकों के हाथ में नहीं है। ज्ञातव्य है कि वरिष्ठ चिकित्सक इन दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश पर हैं।
मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसियेशन के सदस्यों ने आज काली पट्टी बांधकर भर्ती मरीजों का इलाज किया।विदित हो कि मेकाहारा में 300 जूनियर चिकित्सक क्लीनिकल नॉन क्लीनिकल मिलाकर जूडो सहित है।
300 चिकित्सकों के ओपीडी बहिष्कार के साथ ही आज प्रदेश के दूरस्थ स्थानों से आए मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। गौरतलब है कि आईएमए एसोसियेशन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशोक त्रिपाठी, डॉ. महेश सिन्हा, डॉ. अजय सहाय सहित अनेक चिकित्सकों ने चिकित्सकों पर पूर्व में हुए हमलों का कड़ा विरोध किया था।
उक्त घटनाक्रम के चलते वरिष्ठ चिकित्सकों में भी जमकर आक्रोश है। प्रदेश के सरकारी एवं निजी चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत चिकित्सक भी राज्य शासन एवं केन्द्रीय शासन से चिकित्सकों के साथ मरीज के परिजनों द्वारा आए दिन की जा रही मारपीट / हिंसात्मक व्यवहार को लेकर स्पष्ट नीति बनाए जाने की तत्काल मांग किए हैं।
साथ ही आम लोगों से भी अपील की है कि वे अपने परिजनों के चिकित्सा के दौरान धैर्य रखे। किसी भी चिकित्सक की मंशा अपने मरीज को प्रसन्नतापूर्वक रोग मुक्त कर उसके घर खुशी-खुशी भेजने की होती है। मरीज की मृत्यु से चिकित्सक भी दुखी होते हैं
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