प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार देश की बागडोर संभाल ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथ 57 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल नया है लेकिन टीम कमोबेश पुरानी है। पीएम मोदी समेत जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें 38 चेहरे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के ही हैं।
मोदी कैबिनेट में कुल 25 मंत्री हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले 9 मंत्रियों में 8 चेहरे पुराने हैं। वहीं राज्य मंत्रियों में सबसे ज्यादा नए चेहरे हैं । 24 राज्यमंत्रियों में 13 को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह मिली हैं।
टीम मोदी, एक नजर-
#ModiSarkar2 complete list of Ministers who took oath today pic.twitter.com/soEJrDG9cx
— Aishwarya Paliwal (@AishPaliwal) May 30, 2019
राजनाथ सिंह ( केंद्रीय मंत्री)
भौतिकी के प्रोफेसर से देश के गृहमंत्री तक का लंबा सफर तय करने वाले राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के ऐसे मजबूत स्तंभ हैं जिनकी पहचान कुशल प्रशासक और राजनीतिक शुचिता का सम्मान करने वाले परिपक्व नेता के रूप में होती है। राजनाथ सिंह ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। वह इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री थे।
अमित शाह( केंद्रीय मंत्री)
शतरंज खेलने, क्रिकेट देखने एवं संगीत में गहरी रुचि रखने वाले भाजपा के ‘चाणक्य’ अमित शाह ने राज्य दर राज्य भाजपा की सफलता की गाथा लिखते हुए इस बार लोकसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या 303 करने में महती भूमिका निभाई है।
अमित शाह ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। वर्तमान लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिण भारत में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए भाजपा अध्यक्ष शाह की सफल रणनीति को श्रेय दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विचारधारा की दृढ़ता, असीमित कल्पनाशीलता और वास्तविक राजनीतिक लचीलेपन का शानदार समन्वय कर शाह ने चुनावी समर में भाजपा की शानदार जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
नितिन गडकरी ( केंद्रीय मंत्री)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में सबसे ज्यादा कर्मठ मंत्री की पहचान बनाने वाले नितिन गडकरी एक बार फिर मोदी सरकार में मंत्री हैं। सड़क निर्माण में अगर मोदी सरकार की वाहवाही होती है तो इसका बड़ा कारण नितिन गडकरी का बुनियादी ढांचे पर किए गए काम हैं।
निर्मला सीतारमन( केंद्रीय मंत्री)
पिछली मोदी सरकार में निर्मला सीतारमन राज्य मंत्री के रूप में आई थीं लेकिन जल्द ही उनकी तरक्की हुई और वो ना सिर्फ कैबिनेट मंत्री बनीं बल्कि वो भी रक्षा मंत्री। रक्षा मंत्री के रूप में राफेल रक्षा सौदे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हमले का संसद से सड़क तक करारा जवाब दिया। मोदी सरकार की वापसी हुई है तो निर्मला फिर से कैबिनेट मंत्री बनीं।
एस जयशंकर ( केंद्रीय मंत्री)
डिप्लोमेट से राजनेता बने एस जयशंकर पहली बार में ही सीधे कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। डोकलाम विवाद से लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की पैरवी तक एस जयशंकर की जबरदस्त भूमिका रही है। जयशंकर और नरेंद्र मोदी की जान-पहचान उनके पीएम बनने से पहले की है।
2012 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चीन के दौरे पर थे उसी दौरान जयशंकर उनसे मिले थे। दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुई कि मोदी जयशंकर के मुरीद हो गए। 2015 की जनवरी में विदेश सचिव की कुर्सी से सुजाता सिंह की विदाई। इसके तुरंत बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की एक बैठक में एस जयशंकर को विदेश सचिव बनाने का फैसला लिया गया था। जयशंकर उन राजनयिकों में से हैं, जिन्हें चीन, अमेरिका और रूस तीनों ही मुल्कों में काम करने का अनुभव है।
स्मृति ईरानी( केंद्रीय मंत्री)
पहली बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली तो उनके मंत्रियों में सबसे चौंकाने वाला नाम स्मृति ईरानी का था जो उस वक्त अमेठी में राहुल गांधी से चुनाव हारकर आईं थीं, लेकिन सरकार में ना सिर्फ वो कैबिनेट मंत्री बनीं बल्कि सीधे मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जिम्मा मिला। अबकी बार तो राहुल गांधी को हराकर वो सुर्खियों के शिखर पर आ चुकी हैं और एक बार फिर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है।
नरेंद्र तोमर( केंद्रीय मंत्री)
मध्य प्रदेश में भाजपा के प्रमुख नेता नरेन्द्र सिंह तोमर को गुरुवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में लगातार दूसरी दफा शामिल किया गया है। वर्ष 2014 में ग्वालियर से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तोमर ने केन्द्र की राजनीति में लम्बा रास्ता तय कर लिया है।
वर्ष 2014 में वह ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद बने और केन्द्र सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री बनाये गये। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के तौर पर खनन, इस्पात, श्रम, रोजगार और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज जैसे मंत्रालयों का दायित्व संभाला। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुरैना भेजा गया और यहां 1।13 लाख मतों के अंतर से विजय हासिल की।
रविशंकर प्रसाद ( केंद्रीय मंत्री)
पिछली बार जब रविशंकर प्रसाद कानून मंत्री बने तो वे राज्यसभा के सांसद थे। लेकिन इस बार पटना साहिब में शत्रुघ्न सिन्हा को खामोश करके जैसी जीत हासिल की, उसके बाद उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा था और वही हुआ। रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 26 मई 2014 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद से भारत के दूरसंचार क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।
पीयूष गोयल( केंद्रीय मंत्री)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में पीयूष गोयल की एंट्री भी राज्यमंत्री के रूप में ही हुई थी लेकिन जल्द ही उनकी तरक्की हो गई थी और वो रेल मंत्री बन गए थे। बीच में अरुण जेटली की बीमारी के साए में ये चर्चा भी तेज हो गई कि गोयल ही वित्त मंत्री बनेंगे। वित्त मंत्री तो नहीं बने लेकिन जेटली की बीमारी के दौरान बजट पेश किया था।
धर्मेंद्र प्रधान( केंद्रीय मंत्री)
धर्मेंद्र प्रधान पिछली मोदी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में ही आए लेकिन जल्द ही उनका भी प्रमोशन हुआ और वो पेट्रोलियम मंत्री बन गए। मंत्री के रूप में इनके दौर मे शुरू किया गया उज्ज्वाल गैस कार्यक्रम गरीब तबकों को बीजेपी की तरफ खींचने में कारगर साबित हुआ। साथ ही ओडिशा में बीजेपी को मिली जीत के पीछे भी इनका बड़ा हाथ माना जाता है। तो अबकी बार फिर धर्मेंद्र प्रधान मोदी सरकार में शामिल हो चुके हैं।
प्रकाश जावड़ेकर( केंद्रीय मंत्री)
पिछली सरकार में प्रकाश जावड़ेकर भी जूनियर मंत्री के रूप में ही आए लेकिन बीच में ही तरक्की पाकर मानव संसाधन विकास मंत्री बन गए। राज्यसभा से आने वाले जावड़ेकर की दोबारा ताजपोशी बताती है कि प्रधानमंत्री उनपर कितना भरोसा करते हैं।
अर्जुन मुंडा( केंद्रीय मंत्री)
इन्हें झारखंड में मिली शानदार जीत का इनाम मिला है। अर्जुन मुंडा प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। अर्जुन मुंडा खूंटी लोकसभा सीट से जीतकर आए हैं। वह पहली बार केंद्रीय मंत्री बन रहे हैं। झारखंड आंदोलन से सियासी सफर शुरु करने वाले अर्जुन मुंडा के जरिए झारखंड में बीजेपी आदिवासी रुख को अपने साथ जोड़े रखना चाहती है।
रमेश पोखरियाल निशंक( केंद्रीय मंत्री)
उत्तराखंड में बीजेपी ने पांच सीटें जीती तो उसका इनाम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को मिला है। उत्तराखंड के हरिद्वार सीट से जीते निशंक के लिए मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का द्वार खुल गया।
प्रहलाद जोशी( केंद्रीय मंत्री)
कर्नाटक के धारवाड़ सीट से लगातार चौथी बार सांसद बने प्रह्लाद जोशी आरएसएस के बेहद करीबी माने जाते हैं। कर्नाटक बीजेपी के लिए दक्षिण में विजयद्वार है। इसीलिए जोशी का कैबिनेट मंत्री के रूप में ताजपोशी चुनावी गणित को साधने वाला भी हो सकता है।
जोशी ने भगवा दल के गढ़ कहे जाने वाले धारवाड़ इलाके से चौथी बार जीत हासिल की। भाजपा की कर्नाटक इकाई के प्रदेशाध्यक्ष जोशी उस समय चर्चा में आये थे जब पार्टी ने हुबली के ईदगाह मैदान में तिरंगा फहराने को लेकर आंदोलन चलाया था। उन्हें 1990 की शुरूआत में कश्मीर बचाओ आंदोलन से भी खासी पहचान मिली।
उन्होंने पहली बार 2004 में संसदीय चुनाव जीता और उसके बाद 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीतने में सफल रहे। वह भाजपा की कर्नाटक इकाई के महासचिव रहे और फिर 2013 में वह प्रदेशाध्यक्ष बने।
रामविलास पासवान( केंद्रीय मंत्री)
बीजेपी ने अपने दम पर ही बहुमत हासिल कर लिया है बावजूद इसके सहयोगियों पर भरोसा ऐसा कि रामविलास पासवान एक बार फिर कैबिनेट मंत्री बने।राम विलास पासवान ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। पासवान को उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के कोटे से मंत्री बनाया गया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राम विलास पासवान केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे।
सदानंद गौड़ा ( केंद्रीय मंत्री)
कर्नाटक के उडुपी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर छात्र नेता के रूप में राजनीति का ककहरा सीखने वाले डीवी सदानंद गौड़ा को दूसरी बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। पेशे से वकील रहे गौड़ा अब चौथी बार संसद पहुंचे हैं।
उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृष्णा बायरे गौड़ा को पराजित किया। साल 2014 में गौड़ा ने बेंगलुरू उत्तर से लोकसभा चुनाव जीता। उन्हें पहले रेल मंत्रालय सौंपा गया पर छह महीने में ही उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई। इसके बाद उन्होंने न्याय एवं विधि मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष नवम्बर 2014 से जुलाई 2016 तक कार्य किया। इसके बाद उन्हें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। भाजपा नेता अनंत कुमार के निधन के बाद गौड़ा को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
हरसिमरत कौर बादल( केंद्रीय मंत्री)
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के तौर पर अपने उर्जावान तेवरों के लिये जानी जाने वाली शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। वह किस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगी अभी इसकी घोषणा नहीं की गई है।
थावर चंद गहलोत( केंद्रीय मंत्री)
हरसिमरत कौर बादल के बाद थावर चंद गहलोत ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी थावर चंद गहलोत मंत्री रहे थे।
डॉ. हर्षवर्धन( केंद्रीय मंत्री)
विनम्रता भरा सहज व्यवहार और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व नयी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले डॉ हर्षवर्धन की पहचान है। उन्हें दिल्ली सरकार के साथ केन्द्र सरकार में दोबारा कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर मिला है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर हर्षवर्धन ने साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया। आईआईटी कानपुर में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचा के लिए इंटरडिस्पिलनरी सेंटर तैयार किया गया है। यह भारत का पहला अपने तरह का शोध केंद्र है जिसका उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को तकनीकी युक्त सुरक्षित बनाने से लेकर अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करना है।
मुख्तार अब्बास नकवी( केंद्रीय मंत्री)
भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा कहलाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को दूसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली। इस बार नकवी को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है।नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे मुख्तार अब्बास नकवी ने देश के हज कोटे को बढ़वाने में अहम योगदान दिया।
मंत्रालय के प्रयासों के फलस्वरूप सऊदी अरब ने 2019 के लिए भारत के वार्षिक हज कोटे में 25 हजार की वृद्धि की। 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे नकवी के कार्यकाल में डायरेक्ट टू होम प्रसारण व्यवस्था एवं भारतीय फिल्म क्षेत्र को उद्योग का अधिकृत दर्जा देने जैसे अहम फैसले किये गये। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला।
महेंद्र नाथ पांडेय( केंद्रीय मंत्री)
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का कमल खिलाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे के कंधों पर भी थी। महेंद्र नाथ पांडे यूपी के पूर्वांचल से आते हैं।
यूपी में राजनीतिक समीकरण को बैलेंस बनाए रखने के लिए को ब्राह्मण चेहरे के तौर महेंद्रनाथ को पार्टी की कमान दी गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव मे पार्टी ने इन्हें चंदौली लोकसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतारा। मोदी लहर में उन्होंने बसपा के अनिल मौर्य को करीब ढाई लाख मतों से मात देकर सांसद बने और मोदी सरकार में राज्यमंत्री चुने गए थे।इस बार उन्हें कैबिनेट का जिम्मा मिला है।
अरविंद सावंत( केंद्रीय मंत्री)
अरविंद सावंत शिवसेना दक्षिण मुंबई से जीतकर सांसद बने हैं। उन्होंने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री पद की शपथ ली है। वह 1996 से 2010 के बीच दो बार विधायक चुने गए थे। 2010 में उन्हें शिवसेना के प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी मिली थी। 68 वर्षीय सावंत ने कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को 1,00,067 वोट से हराकर अपनी सीट बरकरार रखी। सावंत शिवसेना के साथ पार्टी के शुरुआती दिनों से जुड़े हैं।
गिरिराज सिंह( केंद्रीय मंत्री)
पीएम नरेंद्र मोदी के विश्वस्त गिरिराज सिंह के राजनीतिक करियर में पिछले एक दशक में बेहद नाटकीय ढंग से उछाल आया है। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से सिंह उनके करीबी रहे हैं। 66 वर्षीय सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को चार लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। बेगूसराय इस बार देश के उन चुनिंदा लोकसभा क्षेत्रों में शामिल था जिस पर सभी की निगाहें लगी हुई थी।
सिंह बिहार के प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से आते हैं। यह समुदाय कभी कांग्रेस का समर्थक हुआ करता था लेकिन मंडल के दौर के बाद भाजपा को राज्य में मजबूत करने लगा। 2014 में वह भाजपा के टिकट पर नवादा से चुनाव लड़े और जीत भी गए। मोदी के 2014 में सत्ता संभालने के छह महीने बाद मंत्रिमंडल विस्तार में सिंह को भी जगह दी गई। उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने पर गुरुवार को गिरिराज सिंह ने भी प्रोन्नित के साथ कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली।
गजेंद्र सिंह शेखावत( केंद्रीय मंत्री)
राजस्थान के कद्दावर नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को शपथ ली। जोधपुर से चुनाव लड़े केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। 2014 में उन्होंने जोधपुर से ही चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस उम्मीदवार को भारी मतों से हराया था लेकिन इस बार लड़ाई दमदार हो गई क्योंकि गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत थे। उन्होंने गहलोत के बेटे को करारी शिकस्त दी। 2014 में जीत हासिल करने के बाद उन्हें किसान मोर्चा का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। इसके बाद मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया।
हरदीप पुरी- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
हरदीप पुरी उन लोगों में हैं जिनपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबरदस्त भरोसा करते हैं। कहां कैसे योजना बनाई जानी है, उन्हें कैसे जमीन पर उतारना है, और कैसे जनता तक उसका लाभ पहुंचाना है ये हरदीप पुरी बहुत अच्छी तरह समझते हैं। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी हरदीप सिंह पुरी को मोदी सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में पुरी आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिये भी उन्होंने गुरुवार को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। पुरी को हर बेघर को आवास मुहैया कराने, स्मार्ट सिटी परियोजना और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान जैसी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को कामयाबीपूर्वक आगे बढ़ाने के पुरस्कार स्वरूप दोबारा मंत्रिमंडल में जगह दी गयी है। मोदी सरकार में 2017 में शामिल किये गये पुरी उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य हैं। पुरी को लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पंजाब के अमृतसर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा गया लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुये।
प्रह्लाद पटेल- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
प्रहलाद पटेल स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्यमंत्री बनाए गए हैं। मध्य प्रदेश के दमोह से जीते प्रह्लाद पटेल ने 15 साल पहले नर्मदा यात्रा की थी।
संतोष गंगवार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
शपथ ग्रहण समारोह में बरेली से सांसद संतोष गंगवार ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। मोदी सरकार में गंगवार को दोबारा मौका मिला है और इससे पहले भी वह मंत्री रह चुके हैं। 2014 के बाद संतोष गंगवार को मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया था। इसके बाद मंत्री परिषद में जब फेरबदल हुआ था तब उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री का पद सौंपा गया था।
श्रीपद नाईक- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
श्रीपद नाइक गोवा बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी नाइक केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री बनाए गए थे, लेकिन बाद में मंत्रिमंडल फेरबदल के तहत उन्हें नवगठित आयुष मंत्रालय का केंद्रीय राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया।वह उत्तरी गोवा लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
जितेंद्र सिंह ने अपने पूरे करियर में कई भूमिकाएं निभाई हैं। डॉक्टर के तौर पर उन्होंने मरीजों का इलाज भी किया है और केंद्रीय मंत्री के तौर पर नौकरशाही को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दिया। राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में सिंह की क्षमता को मान्यता उस वक्त मिली जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राज्य स्तरीय राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा।
साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो सिंह को राज्य मंत्री बनाया गया और फिर उन्हें सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री का पद दिया गया। वह जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को हालिया लोकसभा चुनावों में 3.57 लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ दिलाई।
किरण रिजिजू- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
किरण रिजिजू को बीजेपी का कद्दावर नेता माना जाता है। रिजिजू बीजेपी के उन नेताओं में हैं जिन्होंने नॉर्थ ईस्ट में भारतीय जनता पार्टी का सूखा खत्म किया और पार्टी को सीट दिलाई। दिल्ली से ग्रेजुएशन और कानून की पढ़ाई करने वाले रिजिजू नॉर्थ ईस्ट के एकीकरण के पक्ष में रहे हैं।
उनकी दृढ़ सोच रही है कि नॉर्थ ईस्ट के लोग भी उतने ही भारतीय हैं जितने देश के दूसरे लोग। यह देश के लोगों को भी समझना होगा और नॉर्थ ईस्ट के लोगों को भी। 2014 में अरुणाचल से सांसद चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गृह राज्यमंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। किरण रिजिजू ने दिल्ली एनसीआर में नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ भी मजबूत आवाज उठाई है। 2014 में सरकार में शामिल होने के बाद उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के लोगों से जुड़ी समस्याओं पर सुझाव देने के लिए बेजबरुआ कमेटी बनाई।
आरके सिंह- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
आरा से दूसरी बार लोकसभा सदस्य चुने गये आर के सिंह को नई मोदी सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शामिल किया गया। भाजपा नीत राजग की पिछली सरकार में बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री रहे सिंह की सभी घरों को बिजली पहुंचाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना और चुनाव के नजरिये से महत्वपूर्ण सौभाग्य योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका रही।
वह गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और सचिव रहे। उन्होंने पुलिस को आधुनिक रूप देने की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा जेल के आधुनिकीकरण की शुरूआत की। सिंह ने आपदा प्रबंधन की रूपरेखा रखने में भी अहम भूमिका अदा की। उन्होंने एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की भी शुरूआत की। वह बिहार में 2006 से 2009 के दौरान पथ निर्माण विभाग में प्रधान सचिव रहे और राज्य के सड़क नेटवर्क को देश के बेहतरीन सड़क नेटवर्क में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
मनसुख मांडविया- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
मनसुख मांडविया वही नेता हैं जिन्हें संसद में साइकिल से जाने के लिए जाना जाता है। इस बार उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया है। मांडविया ने साइकिल से शपथ ग्रहण में जाने के बारे में कहा, ‘मेरे लिए साइकिल पर शपथ ग्रहण में जाना कोई फैशन नहीं है बल्कि यह मेरा पैशन है। मैं संसद में हमेशा साइकिल पर सवार होकर जाता रहा हूं। यह पर्यावरण के हित में है। इससे ईंधन की बचत होती है और इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।’ पीएम मोदी के पिछले मंत्रीमंडल में उनके पास शिपिंग और रसायन और उर्वरक मंत्रालय था।
अनुराग ठाकुर(राज्य मंत्री)
हिमाचल प्रदेश ने भी बीजेपी पर इस चुनाव में अपनी दरियादिली दिखाई। इसका पुरस्कार हमीरपुर से लगातार चौथी बार जीते अनुराग ठाकुर को मिला जो पहली बार राज्यमंत्री के रूप में मोदी सरकार में शामिल हो गए।
नित्यानंद राय(राज्य मंत्री)
बिहार के उजियारपुर से आने वाले नित्यानंद राय पहली बार मंत्री बने हैं। बिहार में अगर एनडीए ने अद्भुत जीत हासिल की है तो इसमें राय की अहम भूमिका है।
फग्गन सिंह कुलस्ते- राज्य मंत्री
फग्गन सिंह कुलस्ते मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट से छठी बार जीते हैं। कुलस्ते को इस बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में जगह मिली है। वे पहले भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
कुलस्ते पार्टी का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा माने जाते हैं। कुलस्ते का विवादों से भी नाता रहा है। कुलस्ते ने ही संसद में नोंटों का बंडल लहराया था। मंडला चुनाव में कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल मरावी को 97 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
अश्विनी चौबे- राज्य मंत्री
अश्विनी कुमार चौबे बक्सर से सांसद हैं। वह चौब मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। उनहें स्वास्थ्य राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। इस चुनाव में लगातार दूसरी बार बक्सर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए चौबे पांच बार भागलपुर का विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
अर्जुन राम मेघवाल- राज्य मंत्री
अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने हैं। उनकी ये लगातार तीसरी जीत है। राजनीति में आने के लिए मेघवाल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से स्वैच्छिक त्याग किया था। पहली बार वह लोकसभा चुनाव 2009 में बीकानेर लोकसभा सीट से जीते और संसद पहुंचे।
साल लोकसभा चुनाव 2014 में भी उन्हें फिर बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल हुई थी। अर्जुन राम मेघवाल को साल 2016 में वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था। जल संसाधन राज्य मंत्री के रूप में भी उनका कार्यकाल रहा।
जनरल वीके सिंह- राज्य मंत्री
पूर्व सेना प्रमुख जनरल विजय कुमार सिंह को बीजेपी ने दूसरी बार गाजियाबाद लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। लोकसभा चुनाव 2019 में जीतने के बाद वीके सिंह को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी मंत्रीमंडल में जगह मिली। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री का पद संभाल चुके हैं।
कृष्णपाल गुर्जर- राज्य मंत्री
कृष्ण पाल गुर्जर हरियाणा की फरीदाबाद सीट से सांसद हैं। उन्होंने राज्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। इससे पहले भी वे मोदी सरकार में मंत्री थे। गुर्जर लगातार दूसरी बार केंद्र सरकार में मंत्री बनाए गए हैं।
दानवे रावसाहेब दादाराव- राज्य मंत्री
दानवे रावसाहेब दादाराव महाराष्ट्र की जालना लोकसभा सीट से सांसद हैं। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के औताडे विलास केशवराव को 332815 वोटों के अंतर से धूल चटाई। इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जालना लोकसभा सीट से बीजेपी के दानवे रावसाहेब ने कांग्रेस के औताड़े विलास केशवराव को हराया था।
जी कृष्ण रेड्डी- राज्य मंत्री
ये पहली बार सांसद बने हैं। इनको तेलंगाना में बीजेपी को मजबूत करने का ईनाम मिला है। पार्टी ने मंत्रिपरिषद में शामिल करके किशन रेड्डी को ईनाम दिया है।
पुरुषोत्तम रुपाला- राज्य मंत्री
पुरुषोत्तम रुपाला गुजरात के उन राजनेताओं में से हैं जिनके सामने नरेंद्र मोदी ने सियासत शुरू की। 1992 में जिस समय नरेंद्र मोदी विद्यार्थी परिषद का संगठन देख रहे थे उस समय रुपाला सूबे की बीजेपी में सचिव पद पर हुआ करते थे। केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी के झगड़े के समय रुपाला केशुभाई खेमे के करीबी माने जाते थे। लेकिन 2002 में वो हवा का रुख भांपते हुए नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़े हो गए।
2006 में प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी बने।2014 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात छोड़कर दिल्ली आ रहे थे तो गुजरात में उनके वारिस पर काफी तकरार चल रही थीं। उस समय पटेलों के तीन बड़े नेता आनंदीबेन, नितिन पटेल और पुरुषोत्तम रुपाला अपनी तरफ से जोर लगाए हुए थे। नितिन पटेल और पुरुषोत्तम रुपाला को इस मुकाबले में मायूस होना पड़ा।
कहा जाता है कि आनंदीबेन को कमजोर करने के लिए पुरुषोत्तम रुपाला ने गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन को अंदर ही अंदर मदद पहुंचाई। सौराष्ट्र और खास तौर पर उनका अपना जिला अमरेली इस आंदोलन का गढ़ बना हुआ था। पटेल आंदोलन की वजह से गुजरात में बीजेपी की स्थिति कमजोर लग रही थी। लिहाजा 2016 में पुरुषोत्तम रुपाला को राज्य सभा के जरिए सांसद बनाया गया और केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया।
रामदास अठावले- राज्य मंत्री
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रह चुके रामदास अठावले एक बार फिर मंत्री बने हैं। उन्हें मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री का पदभार दिया गया था ।उन्होंने मुंबई नार्थ सेंट्रल लोकसभा सीट का तीन बार प्रतिनिधित्व किया है।
साध्वी निरंजन ज्योति- राज्य मंत्री
नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी में साध्वी निरंजन ज्योति को फिर से राज्य मंत्री बनाया गया है। उन्होंने फतेहपुर संसदीय सीट से जीत हासिल की। उन्होंने गठबंधन उम्मीदवार बसपा के सुखदेव प्रसाद वर्मा को हराया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वो केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री थीं। साध्वी निरंजन ज्योति मूलत: कथावाचक हैं। साध्वी निरंजन ज्योति 2014 में उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनी थीं। इससे पहले वे फतेहपुर से ही 2012 में विधायक चुनी गई थीं।
बाबुल सुप्रियो- राज्य मंत्री
नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में गुरुवार को बाबुल सुप्रियो ने लगातार दूसरी बार केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली। उन्हें राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। सुप्रियो पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से दोबारा चुने गए। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें नगरीय विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें भारी उद्योग मंत्राालय में राज्य मंत्री बनाया गया था।
संजीव बालियान- राज्य मंत्री
मुजफ्फरनगर से दोबारा सांसद बने डॉ। संजीव बालियान को राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को चुनावी मैदान में हराने का ईनाम मिला है। जाटलैंड कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर संसदीय सीट से बालियान दोबारा संसद पहुंचे हैं। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर डॉ। संजीव बालियान लगातार दूसरी बार जीतने वाले तीसरे सांसद बन गए हैं। इससे पहले कांग्रेस के सुमत प्रसाद जैन और भाजपा के ही सोहनबीर सिंह यहां से लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीते थे।
संजय धोत्रे- राज्य मंत्री
संजय धोत्रे महाराष्ट्र की अकोला सीट से जीत दर्ज कर सांसद बने हैं। धोत्रे अकोला सीट पर 2004 से लगातार जीत दर्ज करते आए हैं। धोत्रे लोकसभा की कई महत्वपूर्ण कमेटियों का हिस्सा रहे हैं। वह सूचान प्रौद्योगिकी कमेटी, ग्रामीण विकास कमेटी, कमेटी ऑन एस्टिमेट, स्टैंडिंग कमेटी ऑन रेलवे, परामर्शदात्री समिति, कृषि मंत्रालय, के सदस्य रहे हैं।
सुरेश अंगाड़ी चन्नबसप्पा- राज्य मंत्री
कर्नाटक की बेलगाम लोकसभा सीट से जीतकर सुरेश अंगाड़ी आते हैं। चन्नबसप्पा यहां से चौथी बार चुनाव जीते हैं, जिसका इनाम उन्हें मिला है।
रतन लाल कटारिया- राज्य मंत्री
अंबाला से तीसरी बार सांसद बने रतनलाल कटारिया को मंत्रीमंडल में जगह मिली है। कटारिया हरियाणा राज्य मंत्रिमंडल में रह चुके हैं। रतन लाल कटारिया को 1980 में भाजयुमो का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद वह पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता, प्रदेश मंत्री, अनुसूचित जाति मोर्चा के अखिल भारतीय महामंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री तक के सफर के बाद उन्हें जून 2001 से सितंबर 2003 तक भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।
वी मुरलीधरन- राज्य मंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ लेने वाले वेलमवेल्ली मुरलीधरन को केरल में भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का श्रेय जाता है। भाजपा के बड़े नेताओं की केरल यात्रा के दौरान मुरलीधरन अक्सर ही दुभाषिया का काम करते हैं। मुरलीधरन ने 1975 में आपातकाल के दौरान अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। वह केरल में राजनीतिक रूप से संवेदनशील कन्नूर जिले के रहने वाले हैं, जहां अक्सर ही माकपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें देखने को मिलती है। महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य मुरलीधरन प्रदेश केरल इकाई के दो बार प्रमुख रह चुके हैं। वह एबीवीपी के अखिल भारतीय महासचिव भी रह चुके हैं।
भाजपा में उनका औपचारिक प्रवेश 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था जब उन्हें नयी दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय चुनाव नियंत्रण कक्ष में वेंकैया नायडू की सहायता के लिए नियुक्त किया गया था। वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने पर मुरलीधरन को नेहरू युवा केंद्र का उपाध्यक्ष बनाया गया था। वह 2002-04 के दौरान इसके महानिदेशक रहे थे।
रेणुका सिंह सरुता- राज्य मंत्री
सरगुजा से सांसद चुनी गईं रेणुका सिंह प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल हो गई हैं। 2000-03 तक अविभाजित मध्य प्रदेश में भाजपा रामानुजनगर मंडल की पहली महिला अध्यक्ष थीं। जनपद सदस्य निर्वाचित होने के साथ ही समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकी हैं। 2003 और 2008 में प्रेमनगर विधानसभा से विधायक चुनी गईं। रमन सिंह सरकार में महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री रहीं
सोम प्रकाश- राज्य मंत्री
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और पंजाब के फगवाड़ा से दो बार विधायक रहे सोम प्रकाश पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राज्य मंत्री बनाए गए हैं। केंद्र में मंत्री पद की बृहस्पतिवार को शपथ लेने वाले प्रकाश पंजाब में होशियारपुर (सुरक्षित) सीट से निर्वाचित हुए। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद विजय सांपला का टिकट काट कर पंजाब के दोआब क्षेत्र से एक प्रमुख दलित चेहरा प्रकाश को इस सीट से उम्मीदवार बनाया था। प्रकाश ने भाजपा में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली थी।
रामेश्वर तेली- राज्य मंत्री
असम के डिब्रूगढ़ से बीजेपी सांसद रामेश्वर तेली को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली है। रामेश्वर तेली ने डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पवन सिंह घटोवार को हराया था। तेली को 364566 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल हुई थी। रामेश्वर तेली को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
प्रताप चंद्र सारंगी- राज्य मंत्री
फूस का घर, आने जाने के लिए साइकिल और पेंशन की राशि को गरीब बच्चों के लिए दे देना। मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी को अपनी इसी सादगी के लिए जाना जाता है। अब 64 साल के हो चुके प्रताप सारंगी ने कभी साधु बनना चाहा था और वह एकांत जीवन बिताना चाहते थे लेकिन उनका समाज के प्रति समर्पण और जनसेवा का भाव उनको मोदी मंत्रिमंडल में ले आया।
सारंगी लंबे समय तक आरएसएस से जुड़े रहे हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बालासोर संसदीय सीट से बीजद प्रत्याशी रबींद्र कुमार जेना को 12,956 मतों से हरा दिया। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है। वह दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं।
कैलाश चौधरी- राज्य मंत्री
बाड़मेर लोकसभा सीट से एमपी बने कैलाश चौधरी ने गुरुवार को मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री के रुप में शपथ ले ली है। उन्होंने इस चुनाव में बाड़मेर से कांग्रेस प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह को मात दी।
देबोश्री चौधरी- राज्य मंत्री
पश्चिम बंगाल में बीजेपी की जनरल सेक्रेटरी हैं। कोलकाता की रहने वाली हैं। 2014 लोकसभा चुनाव भी इन्होंने लड़ा था, बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से। लेकिन हार गई थीं। एक बार फिर बीजेपी ने इन्हें टिकट दिया था, इस बार जीत गईं और कैबिनेट में जगह मिल गई।
राव इंद्रजीत सिंह- राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
दक्षिणी हरियाणा में प्रभावी यादव समुदाय के प्रमुख नेता राव इंद्रजीत सिंह को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। सिंह दशकों से दक्षिण हरियाणा की राजनीति में प्रभावी रहे हैं और अब इस क्षेत्र में भाजपा का चेहरा हैं। पांचवीं बार लोकसभा के लिये चुने गए सिंह को यादव समुदाय का खासा समर्थन मिलता रहा है जिसे अहीर के तौर पर भी जाना जाता है।
भाजपा सांसद के तौर पर अपनी गुरुग्राम सीट को दोबारा बरकरार रखते हुए 69 वर्षीय नेता ने इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह यादव को 3।86 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से शिकस्त दी। सिंह 2014 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। वह तब गुरुग्राम से कांग्रेस के सांसद थे। वह मोदी के नेतृत्व वाली राजग-1 सरकार में भी मंत्री थे।
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