अमेरिका ने एक बार फिर चीन पर दरकिनार कर भारत पर भरोसा जताया है। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने भारतीय मुद्रा को अपनी निगरानी सूची में हटा दिया है जबकि चीन अभी भी निगरानी सूची में शामिल है। इसी के साथ अमेरिका ने चीन को चेताया है कि वह अपनी कमजोर होती जा रही करेंसी में सुधार करने के लिए जरूरी कमद उठाए।
अमेरिका उन देशों की मुद्रा को अपनी निगरानी सूची में रखता है, जिनकी विदेशी विनिमय दर पर उसे संशय होता है। अमेरिका ने अक्टूबर 2018 में भारत के अलावा चीन,स्विट्जरलैंड, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया को निगरानी सूची में डाला था।
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और विनिमय दर नीतियों पर तैयार रिपोर्ट को यूएस कांग्रेस के सामने पेश करने के दौरान ये फैसला लिया गया। रिपोर्ट पेश करने के दौरान बताया गया कि पिछले काफी समय से भारत की करेंसी को निगरानी सूची में डाला गया था लेकिन अब भारत और स्विट्जरलैंड की को इससे बाहर कर दिया गया है।
इसी के साथ ये भी बताया गया कि चीन अपनी कमजोर होती करेंसी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है, जिसके कारण अभ भी उसे निगरानी सूची में रखा जाएगा।
वित्त मंत्री सचिव स्टीवन नुचिन ने अपने बयान में कहा, मंत्रालय जोर देता है कि चीन अपनी लगातार कमजोर होती करंसी को दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाए। बताया जाता है कि चीन की करेंसी रॅन्मिन्बी, डॉलर के मुकाबले पिछले एक साल में आठ फीसदी तक नीचे गिर गई है।
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