नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 को शपथ लेंगे। उसी दिन उनके कैबिनेट मंत्री भी शपथ लेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 21 दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर की 29 राजनीतिक पार्टियों के साथ भाजपा का गठबंधन था।
2014 में सरकार बनाने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रियों का ऐलान नहीं किया था। इस बार भी उम्मीद कम ही है, चूंकि, इस बार एनडीए में पार्टियों की संख्या कम है और क्षेत्रीय दलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, इसलिए क्षेत्रीय दलों के सांसदों को मंत्रिमंडल में ज्यादा भागीदारी मिल सकती है। पहले शपथ में 40 से 45 मंत्री बन सकते हैं। इस बार पहले कैबिनेट गठन में एक और दूसरे गठन में 2 या 3 महिलाओं को स्थान मिल सकता है।
मंत्री बनाने का फॉर्मूला
तय नियम के अनुसार सदन के कुल सांसदों में से 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते हैं। यानी करीब 81 सांसदों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। हालांकि, यह नियम जरूरत के अनुसार बदला जा सकता है। एनडीए ने लोकसभा चुनाव में 353 सीटें जीती हैं। इसमें से 303 सीटें भाजपा की हैं।
जातिगत समीकरण, क्षेत्रीयता और आगामी चुनाव
2019 में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में और 2020 में दिल्ली, बिहार और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हरियाणा में गुर्जरों को पक्ष में रखने के लिए कृष्ण पाल गुर्जर को मंत्री बनाया जा सकता है। महाराष्ट्र में शिवसेना ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
इस साल चुनाव भी हैं। ऐसे में उसके 3 से 4 सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वहां से आजसू पार्टी के विजयी सांसद को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे। एनडीए के सहयोगी दल जदयू ने लोकसभा चुनाव में 17 में से 16 सीटों पर कब्जा किया है। उसके भी 3 से 4 सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। राजस्थान से आरएलपी के जीते हुए इकलौते सांसद को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। कारण ये है कि इस कदम से जाट समुदाय के लोग जुड़ेंगे।
यह नया फार्मूला भी हो सकता है
मोदी अपने मंत्रिमंडल को गुलदस्ते की तरह सजाते हैं. इसमें वे प्रोफेशनलिज्म, महिला भागीदारी, जातीय गणित, शहरी-ग्रामीण तालमेल, विशेषज्ञता, एससी-एसटी प्रतिनिधित्व और घटक दलों की सीटें, युवा एवं वरिष्ठता का ध्यान रखते हैं। ऐसे में
1. वरिष्ठता, विशेषता, वफादारी और महिला प्रतिनिधित्व.
2. 20 से 25 प्रतिशत महिलाएं, 40 फीसदी विशेषज्ञ, प्लानिंग एक्सपर्ट्स और टेक्नोक्रेट।
3. पिछले मंत्रिमंडल में एक-एक पद घटक दलों को दिए गए थे। इनमें शिवसेना, तेलुगु देशम, अकाली दल और एलजीपी थी। इस बार टीडीपी नहीं है। जेडीयू, अन्नाद्रमुक शामिल है।
4. यूपी ने भाजपा को 62 सीटें दी है। बिहार से 39 सीटें एनडीए को मिली है। 101 सीटों वाले इन दो प्रदेशों को मंत्रिमंडल में बड़ा शेयर मिलेगा। बंगाल के 18 सांसदों में से 3 से 4 मंत्रिमंडल में आ सकते हैं।
पार्टी संभावित मंत्री
भाजपा 45+
शिवसेना 3-4
जदयू 3-4
लोजपा 1
आरएलपी 1
आजसू 1
अपना दल 1
अकाली दल 1
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