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प्रधानमंत्री को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फ्रिक, मर्द जाएं भाड़ में

जमीयत उलामा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा तलाक का हल निकलेगा शरीयत से

दिल्ली। तीन तलाक का हल कानून कतई नहीं हो सकता। इसका जो भी समाधान निकालेगा वो सोसाइटी शरीयत से निकालेगा। अगर कानून लागू किया गया तो दमन बढ़ जाएगा। ये कहना है जमीयत उलामा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी का। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दहेज के मामले में भी हम एक्ट बनाकर देख चुके हैं। उसका कितना गलत इस्तेमाल हुआ ये सबने देखा। उन्होंने कहा कि आज तीन तलाक की तस्वीर ऐसे पेश की जा रही है जैसे हर पैदा होने वाली लड़की को तीन तलाक दिया जा रहा है। सही बात तो ये है कि शरीयत में सिर्फ तुरंत वाले तीन तलाक को ही गलत नहीं बताया गया, बल्कि हर तरह के तलाक पर नाराजगी जाहिर की गई है। ये तो उस मजबूरी में दिया जाता है जब पति-पत्नि का साथ रहना मुश्किल हो जाता है। मदनी का कहना है कि तलाक सिर्फ मुसलमानों की परेशानी नहीं है, ये एक कॉमन समस्या है। गैरमुस्लिमों में मुस्लिमों से ज्यादा तलाक हो रहे हैं, लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी को तो सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की ही फिक्र है मर्द चाहें जाएं चूल्हे भाड़ में। उन्होंने कहा कि अभी तक जमीयत या पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बारे में कोई कदम क्यों नहीं उठाया, इस बारे में मदनी का कहना है कि हमने पहले भी काम किया है और अब भी कर रहे हैं। हमने ही काबिननामा बनाया था। इसके तहत लड़की के घर वाले और रिश्तेदार सहित सब लोग बैठकर आपस की बातचीत से तीन तलाक का हल निकाल सकते हैं। हज यात्रा के दौरान महरम के विषय पर महमूद मदनी का कहना है कि बिना महरम के हज यात्रा पर जाने के मैं खिलाफ नहीं हूं, क्योंकि हमारे यहां चार स्कूल ऑफ थॉट हैं और उसमें से एक स्कूल शाफी बिना महरम के हज यात्रा की इजाजत देता है। शाफी स्कूल के मानने वाले केरल और कोंकण में बहुत हैं तो फिर कुछ लोगों का हक क्यों मारा जाए, इसलिए सऊदी अरब सरकार ने भी इसमे छूट दे दी है। ये कदम तो सऊदी अरब सरकार ने उठाया है, देश में तो इस पर सिर्फ राजनीति ही हो रही है।

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