
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि घर सौंपने के वादे की तारीख से एक साल बाद भी अगर बिल्डर अपना वादा पूरा नहीं करता तो खरीदार धन वापसी का दावा कर सकता है।
हालांकि बिल्डर के घर सौंपने के वादे की तारीख के 1 साल बाद ही ग्राहक दावा कर सकेंगे। यह पहली बार है जब रिफंड के दावे का समय निर्धारित किया गया है। अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि आखिर कितनी देर होने पर रिफंड का दावा किया जाए।
बता दें कि दिल्ली के रहने वाले शलभ निगम ने अपने मामले को लेकर NCDRC में याचिका दायर की थी। उन्होंने याचिका में बताया था कि एग्रीमेंट के मुताबिक 36 महीने यानी तीन साल में फ्लैट मिल जाना चाहिए था लेकिन बिल्डर फ्लैट का काम पूरा नहीं करा सका।
इस पर फैसला सुनाते हुए आयोग ने कहा कि अगर खरीदार फ्लैट की पजेशन लेना चाहते हैं तो सितंबर 2019 तक इसे पूरा करके देना होगा। अगर पजेशन में और देरी होती है तो बिल्डर को 6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से मुआवजा देना होगा। इसी तरह अगर बिल्डर समय से पजेशन नहीं दे पाती है तो 10 फीसदी ब्याज के साथ राशि वापस करनी होगी।
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