डिजिटल ट्रांजेक्शन को लेकर तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी अधिकतर लोग कैश से लेन-देन पर निर्भर हैं। यही वजह है कि लोग भारी संख्या में ATMs मशीन से कैश निकालते हैं।
लेकिन बीते कुछ समय से इन मशीनों की संख्या कम होती जा रही है। इस वजह से आने वाले समय में कैश ट्रांजेक्शन को लेकर संकट बढ़ सकता है। आइए समझते हैं पूरे मामले को…
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सख्त नियमों के कारण बैंकों और एटीएम मशीनों को लेकर जरूरी बदलाव करने पड़ रहे हैं। इस वजह से एटीएम और बैकों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है। ऐसे में लगातार एटीएम मशीनों की संख्या में कटौती हो रही है।
अहम बात यह है कि ATM मशीनों की संख्या कम होने के बाद भी ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ती जा रही है। अगर ATM मशीनों में कमी का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो इसका असर पूरे देश पर होगा और लोगों को कैश निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
RBI की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में ATM से ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी के बावजूद पिछले दो सालों में ATM मशीनों की संख्या कम हुई है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक, ब्रिक्स देशों में भारत ऐसा देश है जहां प्रति 1 लाख लोगों पर कुछ ही ATM हैं।
कॉन्फिडेरेशनल ऑफ एटीएम इंडस्ट्रीज (CATMi) ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि साल 2019 में भारत के आधे से ज्यादा एटीएम बंद हो जाएंगे। सीएटीएमआई ने तब बताया था कि देश में करीब 2 लाख 38 हजार एटीएम हैं, जिनमें से करीब 1 लाख 13 हजार एटीएम मार्च 2019 तक बंद होने थे।
एटीएम मशीनों के बंद होने की वजह के बारे में आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर आर। गांधी ने बताया कि एटीएम ऑपरेटर उन बैंकों से इंटरचेंज फीस वसूलते हैं, जिनका कार्ड इस्तेमाल किया जाता है। इस फीस का इजाफा न होने के चलते एटीएम की संख्या में कमी आ रही है।
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार को बात की उम्मीद थी कि डिजिटल ट्रांजेक्शन की ओर लोगा शिफ्ट करेंगे लेकिन अब भी भारत में कैश ही कारोबार और लेनदेन में प्रमुख है। डिजिटल ट्रांजेक्शन अब भी लोगों के बीच वैकल्पिक माध्यम बना हुआ है।
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