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खबरीलाल की खबर का असर : सचिव की फटकार के बाद अधीक्षण अभियंता झुमका पहुंचे, डेम के गेट टूटा होने का मामला

चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर खबरीलाल की खबर का एक बार फिर असर हुआ है। कोरिया जिला मुख्यालय स्थित झुमका डेम के गेट टूटे होने की खबर के बाद रायपुर से विभाग के सचिव ने खबर को संज्ञान लिया और उनकी फटकार के बाद अंबिकापुर से अधीक्षण अभियंता झुमका पहुंचे और वो गेट को गिरा कर ऐसा बंद कर गए कि अब उसे खोलना बेहद मुश्किल हो गया है, और शासन को गलत रिपोर्टिग कर चलते बने। ऐसा ही हाल मध्यम श्रेणी जलाशय गेज परियोजना का है।
मामले में सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र सिंह छोटू ने राज्य सरकार को गलत रिपोर्टिग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। उनका कहना है कि आखिर 102 डेम होने के बाद 81 डेमों के गेट टूटे होना बडी लापरवाही की श्रेणी में आता है, जिले में सूखा पडा हुआ है किसान पानी के लिए यहां वहां भटक रहे है और अधिकारी गेट की मरम्मत तो दूर और उसे बिगाड के चले गए हैं।


दरअसल, न्यूज़ पोर्टल द खबरीलाल ने बताया था कि जिला मुख्यालय बैकुंठपुर स्थित मध्यम श्रेणी जलाशय झुमका में लगे दोनों गेट टूट चुके है और उनमें से लगातार पानी बह रहा है। सूखा घोषित हो चुके कोरिया जिले में पीने के पानी के लिए लोगों को यहां वहां भटकना पड रहा है, वहीं जलसंसाधन विभाग को बांधों मे लगे गेटों से कोई सरोकार नहीं है।
इधर, जलसंसाधन विभाग के सचिव ने द खबरीलाल की खबर को संज्ञान में लेकर अम्बिकापुर के अधीक्षण अभियंता को स्वयं मौके पर जाकर अधिकारियों से गेटों की मरम्मत कर उन्हें अवगत कराने के निर्देश दिए, अधीक्षण अभियंता मौके पर पहुंचें। उन्हें बताया गया कि एसडीओ ईएंडएम का कार्यालय हमेशा बंद रहता है, एसडीओ सिर्फ मंगलवार को ही यहां पहुंचते है बाकि दिन गायब रहते है। हमेशा अपने कार्यालय में अनुपस्थित रहने वाले एसडीओ नहीं मिले, जिसके बाद वे कार्यालय के कुछ कर्मचारियों को लेकर झुमका पहुंचे। जलसंसाधन विभाग ने गेट हो किसी तरह फंसा के रखा था, दोनों गेटों से पानी बहता पाया गया। उन्होनें गेट को किसी तरह बंद करने को कहा, जिसमें एक कर्मचारी ने गेट बंद करने की कोशिश की, जिसके बाद गेट को बंद करने की कोशिश में उसमें लगा रॉड छिटक गया और गेट हमेशा के लिए बंद हो गया, अब बिना गोताखोरों के गेट खोलना मुश्किल हो गया है, यदि बारिश ज्यादा हुई तो झुूमका के पानी डेम के ऊपर से बहेगा। वहीं अधिकारियों ने इसके बंद होने की राज्य शासन को गलत रिपोर्टिग कर चले गए, जबकि गेट का मरम्मत काम किया ही नही गया बल्कि गेट को और बिगाड दिया गया और रायपुर में बैठे उच्च अधिकारियों को सबकुछ ठीक ठाक बता दिया गया है।


गेज डेम का भी हाल बेहाल
जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के दूसरी मध्यम श्रेणी सिचाई परियोजना गेज जलाशय का भी हाल बेहाल है। इसके भी दोनोंं गेट वर्षो से खुले पडे है। वहीं विभाग चरचा को पानी दिए जाने की बात कह राज्य शासन को गलत रिपोर्टिग करता आ रहा है, जबकि ऐसा नहीें है, वर्तमान में पूरी फूल कैनाल भर पानी बह रहा है। दरअसल, आज से 10 वर्ष पहले गेज जलाशय की कैनाल टूट गयी थी गेट भी टूट गया था जब उसे बनाने के लिए दूर-दूर से जानकारों का बुलाया गया था, बाद में गेट को वैसा कर छोड दिया था, आज भी वो उसी हालत में है। गेट ना उपर जाता है और ना नीचे आता है। जिसके कारण हमेशा फूल कैनाल पानी बहता रहता है। ऐसे में इसके पानी की भी भीषण गर्मी में जल्दी खत्म होने की संभावना बढ गयी है। उधर, जलसंसाधन विभाग चरचा कालरी को पानी देना बताकर राज्य शासन को गुमराह करता आ रहा है, जबकि पूरे 16 किमी फैली इसकी नहरों में कई किमी इसका पानी यहां वहां टूटी नहरों में बह कर बर्बाद हो रहा है।


करोडो मिले और डकार गए राशि
कोरिया जिले में स्थित झुमका और गेज दोनों मध्यम श्रेणी परियोजना है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष इसके रख रखाव को लेकर लाखों रू देता है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2013-14 से लेकर अब तक पौने 2 करोड रू राज्य सरकार दे चुका है, जबकि अन्य एजेन्सियों द्वारा अलग से राशि दी गई है, परन्तु विभाग ने इसके रखरखाव में भारी लापरवाही बरती गई है, सूत्र बताते है कि इसके लिए आई राशि के फर्जी बिल बनाकर आहरण कर लिया गया है।

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